केवाईसी यानी अपने ग्राहक को जानो की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए जल्द ही पूरे देश में सेंट्रल केवाईसी की व्यस्था लागू होने जा रही है। केंद्र और सेबी इस पर मिलकर काम कर रहे हैं। नई व्यवस्था से निवेशकों और ग्राहकों को अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के साथ बार-बार केवाईसी कराने की जरूरत नहीं होगी। बजट में वित्त मंत्री ने सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री को नए रूप में शुरू करने की घोषणा की थी।
सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे ने हाल में कहा था कि सीकेवाईसी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए वित्त मंत्रालय और अन्य नियामक संस्थाएं साथ मिलकर तेजी से काम कर रही हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति कर रही है। सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री एक डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा। यहां पर ग्राहकों से जुड़ी सभी जानकारी एकसाथ दर्ज होगी। जरूरत के अनुसार कोई भी वित्तीय संस्थान यहां पर दर्ज की गई जानकारी आसानी से ले सकेगा।

इस समय निवेशकों और ग्राहकों को हर जगह केवाईसी करनी पड़ती है। जैसे बैंकों, म्यूचुअल फंड, बीमा और पेंशन योजनाओं में निवेश करने के लिए अलग-अलग केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
डिजीलॉकर से भी जुड़ेगा: डिजिटल दस्तावेजों के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सीकेवाईसी को डिजीलॉकर से भी जोड़ा जाएगा। ओटीपी या चेहरा मिलान के ही किसी जानकारी को शेयर किया जा सकेगा।
एक यूनिक आईडी होगी
ग्राहकों को एक यूनिक केवाईसी आईडी उपलब्ध कराई जाएगी। यह आधार कार्ड से जुड़ी होगी। इस आईडी से ग्राहक की सभी जानकारी सामने आ जाएगी। कोई जानकारी अपलोड की जाएगी, तो उसकी जांच उस डाक्यूमेंट को जारी करने वाली संस्था/एजेंसी से अवश्य कराई जाएगी।
आरबीआई के दिशा-निर्देश
आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार अधिक जोखिम वाले ग्राहकों का केवाईसी हर दो साल में, मध्यम जोखिम वालों को केवाईसी हर आठ साल में और कम जोखिम वाले ग्राहकों का हर दस साल में केवाईसी अपडेट करना जरूरी है। पता बदलने की स्थिति में दो महीने के अंदर उसका सत्यापन करना जरूरी है।