पहली बार व्यवस्था : चयन प्रक्रिया चार सदस्यीय टीम के जिम्मे
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से 16 और 17 अप्रैल 2025 को हुई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की लिखित परीक्षा को लेकर हुए विवादों के बाद चयन प्रक्रिया अब शासन की निगरानी में पूरी होगी। इसके लिए शासन स्तर पर चार सदस्यीय टीम गठित की गई है।
विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, एडीएम सिटी प्रयागराज सत्यम मिश्र, एडिशनल एसपी गीतांजलि सिंह, एडिशनल एसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह और उच्च शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक अजीत कुमार सिंह को टीम का सदस्य बनाया गया है।

दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की लिखित परीक्षा के बाद की कार्रवाई निर्धारित समय एवं पारदर्शिता के साथ पूरी कराई जा सके, इसके
सवालों में शिक्षा सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली, 16 17 अप्रैल को हुई थी परीक्षा
पहली बार होगा ऐसा
कोई भी भर्ती संस्था हो, ऐसा पहली बार होगा जब संस्था को चयन प्रक्रिया शासन की निगरानी में या शासन के सहयोग से पूरी करानी पड़े। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब आयोग में अध्यक्ष और सभी 12 सदस्यों समेत सचिव, परीक्षा नियंत्रक और उपसचिवों के पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं तो शासन को सहयोग करने की जरूरत क्यों पड़ रही है।
लिए चार सदस्यीय टीम आयोग को सहायता प्रदान करेगी।
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय में 33 विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 910 पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई थी। इस दौरान पेपर आउट होने के आरोप लगे थे और छात्रों ने आयोग पर धरना प्रदर्शन भी किया था।
उ. प्र. शिक्षा सेवा चयन आयोग
टीजीटी-पीजीटी भर्ती को लेकर भी सवालों के घेरे में आयोग
टीजीटी-पीजीटी भर्ती परीक्षा को लेकर भी शिक्षा सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली लगातार सवालों के घेरे में है। पीजीटी परीक्षा तीन बार और टीजीटी परीक्षा दो बार स्थगित की जा चुकी है। अगली बार भी यह दोनों परीक्षाएं निर्धारित समय पर कराई जा सकेंगी या नहीं, इस पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
मामले में एसटीएफ ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था, हालांकि बाद में यह कहकर उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी कि उनके पास से नकली पेपर मिला है। परीक्षा के लिए करीब एक लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। अपने गठन के बाद आयोग ने पहली बार परीक्षा कराई थी।