बलरामपुर, ग्रीष्म अवकाश के बाद माध्यमिक इंटर कॉलेज शिक्षण कार्य के लिए खुल गए हैं। स्कूल खुलने के बाद शासन से बच्चों के नौंवी से इंटरमीडिएट तक एनसीईआरटी की किताबें खरीद कर पढ़ाई करने का निर्देश दिया गया है। शासन से निर्धारित प्रकाशक की एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध न होने से छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकों पर निर्भर है।
जिले में चार राजकीय इंटर कॉलेज 19 राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित 58 वित्तविहीन इंटर कॉलेज संचालित हैं। इन सभी स्कूलों में नवी से इंटरमीडिएट तक लगभग 80 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इन बच्चों को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से सामाजिक विषय, अंग्रेजी, नागरिक शास्त्रत्त्, हिंदी, संस्कृत, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान व रसायन विज्ञान आदि पुस्तकें एनसीईआरटी के पीतांबरा एवं कैला प्रकाशक की लेनी है।
शासन से निर्धारित पुस्तकें अधिकांश बाजार में स्थापित स्टेशनरी से नदारद हैं।
इसका मुख्य कारण किताबों की उपलब्धता न होना है। साथ ही इन किताबों पर पुस्तक विक्रेताओं का फायदे का प्रतिशत भी कम होना मुख्य कारण बताया जा रहा है। पुस्तकों के अभाव में छात्र-छात्राएं प्राइवेट प्रकाशक की किताबें खरीदने को मजबूर हैं।
तमाम गरीब बच्चे प्राइवेट प्रकाशक की किताबें महंगी होने के कारण पुरानी एनसीईआरटी की किताबें साथी सहपाठी से लेकर काम चला रहे हैं। हिंदुस्तान ने पांच स्कूलों की पड़ताल की तो एनसीईआरटी की किताबें न मिलने से बच्चों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता दिखा। बावजूद इसके शिक्षा महकमा इस दिशा में कोई ठोस कदम न उठाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
बालिका इंटर कॉलेज बलरामपुर
बलरामपुर बालिका इंटर कॉलेज विद्यालय के इंटर साइंस की छात्रा नेहा पासवान, पारुल, पल्लवी आदि का कहना है कि विभाग जिन प्रकाशकों के एनसीईआरटी की किताबें की खरीदने को कह रहा है वह बाजार में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में प्राइवेट प्रकाशक की किताबें लेनी मजबूरी बनी हुई है। वहीं प्राइवेट प्रकाशन की किताबें महंगी होने के कारण अधिकांश छात्र-छात्राएं पुराने किताबों से काम चला रहे हैं।
डीएवी इंटर कॉलेज बलरामपुर
माध्यमिक शिक्षा विभाग से एनसीईआरटी के पीतांबरा प्रकाशक की किताबें खरीदने को कही गई है, लेकिन शायद ही किसी पुस्तक विक्रेता के पास इस प्रकार से की किताबें उपलब्ध हों। ऐसे में छात्रों को भारी-भरकम बजट वाले प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें लेकर पढ़ाई करनी मजबूरी बनी हुई है। कक्षा नौ की छात्रा तनु पांडेय एवं दसवीं के आदित्य स्वरूप पांडेय का कहना है कि सामाजिक विषय, इंग्लिश, नागरिक शास्त्रत्त्, हिंदी और संस्कृत जैसी मूल विषयों की किताबें एनसीईआरटी की उपलब्ध न होने से प्राइवेट प्रकाशक की पुस्तकों पर पढ़ाई निर्भर है, जो काफी महंगी होने के कारण अभिभावकों के जेब पर भारी पड़ रही हैं।