आयकर विभाग ने ऐसे नौकरीपेशा करदाताओं पर शिकंजा कस दिया है, जिन्होंने अधिक कर कटौती और रिफंड के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। इनमें करीबी रिश्तेदारों से ली गई मकान के किराए की फर्जी रसीद, होम लोन के लिए अतिरिक्त दावे और दान से जुड़े कागज शामिल हैं। विभाग ने रिटर्न में गड़बड़ी पाए जाने पर इन करदाताओं के खिलाफ जांच शुरू कर दी है और नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ने इन करदाताओं को कर छूट का दावा करने के लिए सबूत के तौर पर दस्तावेज उपलब्ध कराने का कहा है। यही नहीं, विभाग ने करदाताओं से आईटीआर तैयार करने और दाखिल करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट या कर विशेषज्ञों के नाम, पता और संपर्क नंबर का खुलासा करने के लिए भी कहा है।
आंकड़ों का मिलान कर विशेषज्ञों के अनुसार, विभाग इस बार एआई तकनीक और विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों की मदद से आईटीआर की छंटनी कर रहा है। अक्सर करदाता अधिक कर छूट पाने के लिए किराए की फर्जी रसीद का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अगर मकान मालिक ने अपने रिटर्न में किराए की राशि का ब्योरा नहीं दिया है तो एआई उसे तुरंत पकड़ रहा है। पहले इस काम में वक्त लगता था। करदाता को लगता है कि छोटी राशि के दावों की कौन जांच करेगा, इसलिए वे फर्जी दावा कर देते हैं।
एआईएस की लें मदद
वार्षिकी सूचना रिपोर्ट (एआईएस) सुविधा को हाल ही में आयकर विभाग ने शुरू किया है। इसमें वार्षिक आय, कितना किराया प्राप्त किया, कितनी नकदी जमा की, कितनी नकदी निकाली, बचत शेयर और म्युच्युअल फंड की खरीद-फरोख्त समेत 46 तरह की सूचनाएं शामिल हैं। इसे आयकर विभाग की वेबसाइट से हासिल किया जा सकता है।
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आठ हजार लोगों को जारी हुआ था नोटिस
विभाग ने इसी साल अप्रैल में दान के नाम पर कर चोरी करने वाले करीब आठ हजार लोगों को नोटिस जारी किया था। नोटिस पाने वालों में कंपनियां, कारोबारी, वेतनभोगी और व्यवसाय चलाने वाले लोग भी शामिल थे।