प्रयागराज उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्षा दस में उर्दू विषय से कथा सम्राट प्रेमचंद की उर्दू में लिखी कहानी इर बाहर कर दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा दस के बच्चों के लिए उर्दू विषय में कई अहम बदलाव किए हैं। पिछले महीने ही छपकर बाजार में आई पुस्तक में आलोचक गोपीचंद नारंग का लेख उर्दू हमारी जवान पंडित रतननाथ सरकार का लेख आले आमद सुरू पंडित आनंद नारायण मुल्ला और हास्य व्यंग्यकार कन्हैया लाल कपूर की रचना अखबार बोनी पाठ्यक्रम से बाहर की गई है।
एग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में उर्दू के प्रवक्ता अजय मालवीय के अनुसार बोर्ड के उर्दू विषय विशेषज्ञों ने गद्य भाग से मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गौदान के अंश को भी हटा दिया है। अब बच्चे सिर्फ मिश्री हादी रुसका का उपन्यास उमराव जान अदा का अध्ययन करेंगे। इसके अलावा गद्य भाग में पितरस बुखारी
अकबर इलाहाबादी को नहीं मिली जगह
उर्दू पुस्तक के ही पद्मभाग से अकबर इलाहाबादी, मीरा मखदूम महीउद्दीन, जमील मजहरी, फैज अहमद फैज इत्यादि को अपने पाठ्यक्रम से हटा दिया है। पद्म भाग में कक्षा दस के बच्चे सिर्फ हाल इकबाल हसरत असगर फानी, जिगर, फिराक की राजले पढ़ेंगे कविताओं में नजीर अकबराबादी, हाली. दुर्गा सहाय सुरूर, इकबाल, चकबस्त जोग, अख्तर उस ईमान और अली सरदार आफरी को पढ़ेंगे। साथ ही साथ निजी मोहम्मद रफी सौदा का कसीदा और मीर अनीस के मरसिए का भी अध्ययन करेंगे।
रशीद अहमद सिद्दीकी, कृष्णचन्द्र राजेन्द्र सिंह बेदी, हाली और एहतेशाम हुसैन को पढ़ेंगे।
शायर की पांच नहीं एक-दो गजल पढ़ेंगे 9वीं के बच्चे कक्षानी की पुस्तक में भी बड़ा फेरबदल देखने को मिलता है। पहले जहां
बच्चों को प्रत्येक शायर की पांच-पांच पढ़नी पड़ती थी, वहीं अब उनको प्रत्येक शायर की एक-दी गजल ही पढ़नी पड़ेगी। गद्य भाग में उर्दू को विभिन्न विधाओं जैसे दास्तान, खत, मजमून, नाविल और स्वानेह को शामिल किया गया है
लेकिन इन विधाओं का संक्षिप्त परिचय पुस्तक के अंत में दिया गया है। जबकि इन विधाओं से संबंधित पाठ के प्रारम्भ में विस्तृत परिचय दिया जाना चाहिए था। पद्य भाग में गजल, मसनवी और बाई को शामिल किया गया है। साथ ही इन विद्याओं का विस्तृत परिचय दिया गया है। साहित्य अकादमी नई दिल्ली में उर्दू सल्लाहकार बोर्ड और सामान्य परिषद के सदस्य अजय मालवीय के अनुसार इस पुस्तक में बहुत बड़ी संख्या में विसंगतियां मौजूद है और पुस्तक अपूर्ण है। किताब की विसंगतियों को दूर कर के पुनः प्रकाशन कराया जाना चाहिए।