लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बीएड की फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी पाने के आरोपित शिक्षकों को खुद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी बचा रहे हैं। प्रदेश के 28 जिलों में ऐसे 235 संदिग्ध शिक्षक हैं, जिनके अभिलेखों का ब्योरा अभी तक एसटीएफ को नहीं दिया गया है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ की ओर से पत्र लिखकर इन शिक्षकों के समस्त रिकार्ड मांगे गए हैं। यही नहीं, ऐसे शिक्षकों से जुड़ी जो जानकारी भेजी भी गई है, वह अस्पष्ट व अपठनीय है।
इसे लेकर स्कूल शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनंद ने इस पर सख्त नाराजगी जताई है और तत्काल ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
वर्ष 2005 में डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में बीएड कोर्स की बड़े पैमाने पर फर्जी मार्कशीटें जारी की गईं थीं। जांच में 82 बीएड कालेजों के 4,766 छात्रों को फर्जी ढंग से यह मार्कशीट जारी करने की पुष्टि हुई थी। फर्जी मार्कशीट लगाकर तमाम बीएड छात्रों ने बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी
वीएड की फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी पाने का आरोप
- एसटीएफ ने लिखा पत्र, जो जानकारी दी वह भी स्पष्ट नहीं
प्राइमरी स्कूलों में नौकरी भी हासिल कर ली। तमाम शिक्षक जांच के बाद बाहर भी किए जा चुके हैं, मगर 28 जिले ऐसे हैं जो शिक्षकों के अभिलेखों के बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं। ऐसे 92 संदिग्ध शिक्षक देवरिया के हैं।
वहीं मथुरा के 41, बलिया के 16, संत कबीर नगर के 12, प्रतापगढ़ व जौनपुर के 11-11, गोरखपुर के 10, कुशीनगर के नौ, महाराजगंज के छह, सुलतानपुर व बस्ती के तीन-तीन, हमीरपुर, उन्नाव, गोंडा व बलरामपुर के दो-दो और आगरा, अलीगढ़, एटा, प्रयागराज, कौशांबी, मुरादाबाद, लखनऊ, रायबरेली, अंबेडकर नगर, सोनभद्र, गाजीपुर, बदायूं व ललितपुर के एक-एक संदिग्ध शिक्षक शामिल हैं। फिलहाल अगर इन जिलों ने जल्द ब्योरा न भिजवाया तो संबंधित जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।