बलरामपुर। परिषदीय व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा करने वालों का खुलासा नहीं हो पा रहा है। बलरामपुर बालिका इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका आसमा परवीन ने पश्चिम बंगाल से बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी हासिल की थी। इसे बनवाने वालाें की पहचान नहीं हो सकी। परिषदीय स्कूलों में जांच उन्हीं नामों तक सीमित है, जिनके नाम से नियुक्ति हासिल की गई।
आसमा परवीन के विरुद्ध गत 22 सितंबर को नगर कोतवाली में मुकदमा लिखा गया। तैनाती नवंबर 2021 में आयोग से हुई थी। तैनाती के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग व विद्यालय प्रबंध तंत्र में अभिलेखों का सत्यापन कराया तो बीएड की डिग्री फर्जी निकली। इसकी पुष्टि पश्चिम बंगाल के सिद्दू कान्हू बिरसा विश्वविद्यालय ने की थी। जिसके बाद डीआईओएस ने विद्यालय प्रधानाचार्य रेखा देवी को पत्र जारी कर अध्यापिका के खिलाफ कूटरचित अभिलेख के सहारे नौकरी करने के आरोप में नगर कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद नियुक्ति के इस खेल में शामिल लोगों के नाम आज तक पता नहीं चल सके।
यही नहीं दो लोगों के नियुक्ति पत्र ही फर्जी थे। इसके तहत बसंतलाल इंटर कॉलेज में गाजीपुर जिले के चंद्रशेखर सिंह और सारनाथ जिला वाराणसी के सुनील कुमार गिरफ्तार भी हुए। इसके बाद भी अब तक जांच नहीं हो सकी। शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े की जड़ों तक न तो विभाग पहुंच पा रहा है और न ही पुलिस कुछ पता कर पा रही है। दूसरों के अभिलेख पर नौकरी करने वालों में दर्ज हुई 121 मामलों की जांच में पुलिस महकमा हांफ रहा है।
शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की जांच एसटीएफ से हो रही है। इसके अलावा कार्रवाई की नियमित समीक्षा की जाती है। कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
— राम सागर पति त्रिपाठी, सहायक शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल