नई दिल्ली। यूपी में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले पर सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यह दुखद है कि यहां बहस इस बात तक सीमित है कि रियायत पाकर शिक्षक पद हासिल किया जाए। किसी को बच्चों की परवाह नहीं। शुक्रवार को करीब तीन घंटे की बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों से तीन दिन में अपना लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट को इस पर फैसला सुनाना है कि भर्ती परीक्षा में कट ऑफ 60-65 फीसदी रखना सही है या नहीं। इसके अलावा अदालत यह भी तय करेगी कि क्या सहायक शिक्षक के पद के लिए बीएड छात्र पात्रता रखते हैं या नहीं जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष बीएड उम्मीदवारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील साल्वे ने कहा, इस मामले में छात्रों को लेकर कोई बहस नहीं हो रही है।
छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। उनके मौलिक अधिकारों की तो बात ही नहीं हो रही है। शिक्षामित्र सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी और राजीव धवन ने कहा, पिछली भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के छात्रों का कटऑफ 45 फीसदी और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी था।
कटऑफ बढ़ाना गलत नहीं: सरकार
प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और वकील राकेश मिश्रा ने कहा, कटऑफ बढ़ाना गलत नहीं है। भले ऐसा परीक्षा प्रक्रिया के बीच में क्यों न किया गया हो। साथ ही कहा कि एनसीटीई के कानून में बीएड के छात्रों को परीक्षा में बैठने की पात्रता दी गई है और राज्य सरकार उस कानून को मानने के लिए बाध्य है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के 6 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस फैसले में हाईकोर्ट ने यूपी बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के कट ऑफ बढ़ाने के निर्णय को सही ठहराया था।
69,000 शिक्षक भर्ती मामले में सुनवाई 6 को
लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले की सीबीआई जांच कराए जाने के आग्रह वाली याचिका पर सुनवाई के लिए 6 अगस्त की तिथि तय की है। न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने यह आदेश शुक्रवार को अभ्यर्थियों अजय कुमार ओझा व उदयभान चौधरी की याचिका पर दिया