केंद्र सरकार ने एक देश, एक चुनाव की संभावनाएं तलाशने के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति की कमान पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संभाल सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति से मुलाकात की।
सूत्रों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया जाना है। समिति इस कवायद और तंत्र की व्यवहार्यता का पता लगाएगी कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कैसे कराए जा सकते हैं। समिति इस संबंध में विशेषज्ञों से बात करेगी और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगी।
देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे। सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है। हालांकि सरकार ने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी चुनाव चक्र से वित्तीय बोझ पड़ने और इस दौरान विकास कार्य को नुकसान पहुंचने का हवाला देते हुए लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने के विचार पर जोर देते रहे हैं। जिनमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हैं। रामनाथ कोविंद ने भी राष्ट्रपति बनने के बाद इसका समर्थन किया था।
नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होने हैं। सरकार के इस कदम से आम चुनाव और कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावना है, जो लोकसभा चुनावों के बाद में या साथ होने हैं।
पहल अच्छी, मजबूत होगा लोकतंत्र: योगी
पहल अच्छी, मजबूत होगा लोकतंत्र योगी
लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर केंद्र सरकार द्वारा कमेटी गठित किए जाने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने शुक्रवार को इसे एक अभिनव पहल करार देते हुए इसे आज की जरूरत बताया है।
योगी ने कहा है कि इस निर्णय से विकास की प्रक्रिया गतिमान होगी और यह लोकतंत्र की समृद्धि और उसकी स्थिरता को सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक नागरिक के जीवन में खुशहाली लाएगा। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की दृष्टि से देखें तो यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि बार-बार इलेक्शन विकास के कार्यों में बाधा पैदा करते हैं। आज जरूरत है कि लोकसभा, विधानसभा और अन्य सभी प्रकार के चुनाव को एक साथ हों।