महिला-पुरुष के लिए क्रूरता का अर्थ अलग हो सकता है
अविवाहित महिला को नौकरी से मना करना मनमाना
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महिला के अविवाहित होने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को रोजगार देने से इनकार करने को अवैध और मनमाना बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले ने भेदभाव का एक नया मोर्चा उजागर किया है।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की एकल पीठ ने महिला एवं बाल विकास विभाग की इस शर्त पर कड़ी आपत्ति जताई कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पद के लिए आवेदकों (महिला) को विवाहित होना चाहिए। पीठ ने चार सितंबर को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के आवेदन पत्र का चार सप्ताह में निपटारा करने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला और पुरुष के लिए क्रूरता का अर्थ अलग-अलग हो सकता है। अदालतों को उन मामलों में व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिनमें पत्नी तलाक चाहती है।
शीर्ष कोर्ट ने महिला को तलाक की डिक्री देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत ‘क्रूरता’ शब्द का कोई निश्चित अर्थ नहीं है, इसलिए यह न्यायालय को इसे ‘उदारतापूर्वक और प्रासंगिक रूप से’ लागू करने का व्यापक दृष्टिकोण देता है। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए पत्नी को तलाक की डिक्री दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जिस घर को रहने के लिए एक खुशहाल जगह माना जाता है वह उस वक्त दुख और पीड़ा का स्रोत बन जाता है।