किसी भी भारतीय नागरिक का PAN मुख्यतः तीन सूचनाओं के आधार पर बनता है…
1.नाम
2.DOB
3.पिता का नाम
यदि यह तीन सूचनाएं किन्ही दो भारतीय नागरिक की पूर्णतः एक जैसी मिल जाये तो *दोनो नागरिको को एक ही PAN जारी हो जाएगा।*
पूरे भारतवर्ष में ऐसे 50 से ज्यादा के कुल मामले अब तक प्राप्त हुए है।
*जिनमे दोनो नागरिक अलग अलग पते के निवासी निकले परन्तु उनकी उक्त तीन सूचनाएं एक जैसी निकली..और बचपन से लेकर स्थिति संज्ञानित होते तक के सभी अभिलेख जिसकी पुष्टि करते थे।*
*ऐसे मामले में PAN नंबर उसी नागरिक का वैध माना जायेगा जिसका PAN पहले जारी हुआ।*
2018 के बाद जब सरकार द्वारा PAN को आधार से लिंक करने की योजना आई तब ऐसे मामलों में PAN को एक जैसा दो नागरिको के पास था परन्तु आधार नम्बर अलग अलग थे…इस स्थिति में जिस नागरिक ने पहले आधार से पैन को लिंक का प्रोसेस कर लिया।
उसका आधार नम्बर PAN से लिंक हो गया।
आयकर विभाग भी सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहा था।
ऐसी स्थिति में जब दूसरे नागरिक का PAN से आधार लिंक न हुआ तो शिकायते हुई…
एक लंबे प्रोसेस के बाद प्रथम जारी कराने वाले नागरिक को पुराना PAN नंबर दिया गया एवम बाद में जारी कराने वाले को नया PAN नम्बर जारी हुआ।
बहुत से ऐसे मामलों में बाद में जारी कराने वाले नागरिक ने आधार से PAN पहले कर लिया था
तो पहले आधार से PAN D-Link पहले हुआ
फिर
PAN निरस्त हुआ
फिर नया PAN बना बाद वाले नागरिक का।
यहां तक तो सब कुछ सही मामला था।
*ऐसे जो सच्चे मामले थे उनमें तो पूरी जांच के बाद सब कुछ सही हो गया।*
ऐसा एक मामला हमारे जानकारी में मेरे ही विकासखण्ड बेहटा(सीतापुर) का रहा..लम्बी भागदौड़ और कागजी एवम कानूनी प्रक्रिया के बाद सब सही हुआ..मैं उक्त प्रकरण में समय समय पर यथोचित सहयोग करता रहा अतः पूरा प्रोसेस समझ/जान पाया।
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परंतु
इसी के साथ साथ ऐसी ही स्थित बहुत से गलत मामलों में थी…
*जिनको कूटरचित अभिलेखों के साथ फर्जी कार्मिक कहा गया।*
बहुत से अपने विभाग एवम अन्य विभाग में कार्यरत कार्मिकों के मामलों में यह तथ्य जांच में आये।
एक लंबा दौर रहा
जब अपने विभाग में शैक्षिक योग्यता में प्राप्त नंबर/प्रतिशत के आधार पर सेवा में चयन होता रहा।
ऐसे दौर में बहुत से उच्च मेरिट के भारतीय नागरिको के फर्जी अभिलेखों के आधार पर अन्य नागरिक ने नौकरी प्राप्त कर ली।
2015-16 तक ऐसे मामले बहुत कम पकड़ में आ सके।
तब वेतन भी अपने विभाग में MT के माध्यम से मिलता था।
विभाग द्वारा Form 16 भी हाथ का बना मिलता था न कि ऑनलाइन ट्रेसेस के द्वारा जारी।
PAN भी पकड़ में न आ पाते थे।
आयकर फाइलिंग पर भी सरकार का बहुत जोर न होता था।
बेसिक का कार्मिक आयकर फाइलिंग के दायरे में भी न आता था तो बहुत से आयकर ही फाइल न करते थे।
जिनकी शिकायत ही हो जाती थी
वही ऐसे फर्जी मामले पकड़ में आ पाते थे।
*फिर आता है बिल्कुले नया दौर…*
2016 में 7th पे कमीशन आता है
साथ ही बेसिक विभाग में वेतन भी ऑनलाइन वेतन सॉफ्टवेयर से देने की प्रक्रिया हेतु सिस्टम आगे बढ़ता है (हालांकि पूर्णतः मानव सम्पदा से लिंक होकर नए सॉफ्टवेयर से वेतन 2021 में शुरू हो सका)
*PAN से आधार लिंक होने लगे*
यह प्रोसेस फर्जी कर्मिकों के लिए ताबूत की आखिरी कील साबित हुई..क्योकि अब एक ही PAN लिए दो अलग अलग कार्मिक दो जगह नौकरी तो कर रहे थे…पर अब आधार किसी एक का ही लिंक हो पा रहा था..जब तक आधार लिंक नही
तब तक ITR फाइल नही…
इसी के साथ एक ही PAN पर दो दो जगह के DDO के TAN से उसी एक PAN पर डबल आय आती दिखने लगी
जो यह दर्शा रहा था
एक ही PAN नंबर धारक दो दो जगह जॉब कर रहा है
जबकि एक जगह एक कार्मिक फर्जी अभिलेखों पर जॉब कर रहा था।
यही से शिकायतें चालू हुई
उन दो में जो एक सच्चा था
वह शिकायत किया
पत्राचार किया
जांच करवाई
स्वयम को निर्दोष साबित करने में लग गया क्योकि उसके PAN पर डबल वेतन दिख रहा था जबकि वह एक वेतन ले रहा था
एक जॉब कर रहा था
मामले में शासन और STF इन्वाल्व हुई
और ऐसे बहुत से मामले पकड़ में आये
*ज्यादातर ऐसे मामले में फर्जी कार्मिक उन जनपदों में जॉब करते मिला जहां रिक्त पद खूब निकलते थे..और फर्जी कार्मिक के मूल जनपद से बहुत दूर नियुक्त जनपद होता था।*
1999 के पहले तक जॉब जिला स्तर के निवास प्रमाण पत्र से मूल जिला स्तर पर नियुक्ति होती थी
तो जनपद के अंदर ऐसा फर्जीवाडा कोई न कर पाता था क्योंकि सैकड़ो लोग बचपन से जानते थे
परन्तु जब अपने विभाग में नियुक्त जनपद की सीमा से बाहर होने लगी तो इस छूट का फायदा उठाकर फर्जी अभिलेखों के द्वारा मूल जनपद से दूर जॉब करने यह सब पहुँच गए जहां उनको बचपन से कोई जानने वाला ही न था
उन फर्जी लोगो ने जो नाम पहचान नए नियुक्ति जनपद में सबको बताई वही सब जाने।
ऐसे ही दो फर्जी कार्मिकों मेरे जिंदगी में भी 2009 एवम 2015 में आये हमारे विकासखण्ड में ही नियुक्त हुए..हमारा उनका आमंत्रण निमंत्रण तक का साथ हुआ..मेरी शादी तक मे आमंत्रित हुए…पर हम सब कभी न जान पाए कि वह फर्जी है…बाद में STF एवम विभागीय कार्यवाही के तहत वह दोनो आज की दिनांक में कारागार में है।
*इन घटनाओं में STF एवम विभाग ने देखा बहूत से लोग पकड़ में आने से बचने हेतु पहले लेखा ऑफिस में वेतन खाता एवम PAN नंबर बदलवा लेते रहे/बदलवाने का प्रयास किये।*
ऐसी स्थिति का संज्ञान होने पर
STF,शासन-प्रशासन ने विगत कई साल का डेटा माँग लिया कि किन किन कर्मिकों ने विगत समय मे वेतन खाता या PAN लेखा के डेटा में परिवर्तित कराया और क्यो..?
संदिग्ध प्रकरणों की जांच में कई इसमे भी फर्जी कार्मिक पकड़ में आये।
*अन्तोगत्वा विभाग की तरफ से दिशानिर्देश जारी कर दिया गया कि बिना लखनऊ स्तर की पूर्व अनुमति के किसी भी कार्मिक का वेतन खाता एवम PAN नंबर कदापि न बदला जाए..*
*यदि किसी का खाता नंबर या PAN नंबर बदलने की प्रार्थना पत्र आये तो तुरन्त उच्च स्तर पर मेल की जाए..पूर्व अनुमति मिलने पर ही खाता नंबर या PAN बदला जाए..*
अब ऐसी स्थिति में Mail तो जनपद से स्तर से ऊपर जाती है परन्तु वापसी Mail अनुमति की आने की प्रायिकता बहुत ही कम होती है।
ऊपर से ऐसा कार्मिक संदिग्ध की श्रेणी में अलग चला जाता है क्यो न वह खाता परिवर्तनम बैंक द्वारा प्रदत्त सुविधाओ की कमी के कारण करना चाह रहा हो।
यही कारण है कि अपने विभाग में वेतन खाता परिवर्तन टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
आपका
नित्यानन्द
सीतापुर