वंदना और बंदना, नाम में मामूली फर्क। इतने ही अंतर पर शिक्षक भर्ती में चुनी गई वंदना को पता नहीं चला और उसके नाम पर नकली बंदना पांडेय ने नौकरी हथिया ली। नकली वाली महिला शिक्षक बंदना ने 13 साल नौकरी की, वेतन उठाया, लेकिन जांच में पकड़ी गई। जेल गई और बर्खास्त हो गई। फिर भी हाईकोर्ट में एक पक्षीय कार्रवाई का हवाला देकर याचिका दाखिल कर दी। अब हाईकोर्ट के आदेश पर उसे पक्ष रखने के लिए बुलाया जा रहा है, लेकिन पहुंच नहीं रही। उधर, तीन साल से वंदना पांडेय नौकरी पाने की आस लगाए बीएसए दफ्तर के चक्कर काट रही हैं, उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
अयोध्या की रहने वाली वंदना पांडेय ने विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से 2007 में शिक्षक भर्ती के लिए सिद्धार्थनगर में आवेदन किया था। जब भर्ती की मेरिट सूची जारी हुई तो उसमें वंदना का नाम नहीं था। इसके बाद वंदना ने फिर दोबारा किसी भी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन नहीं किया।
साल 2020 में फर्जी शिक्षक भर्ती मामले की जांच कर रही एसआईटी की ओर से अयोध्या की रहने वाली वंदना को जब नोटिस भेजा गया तो वंदना और उनके परिवार के लोग परेशान हो गए, क्योंकि उन्हें तो नौकरी मिली ही नहीं थी। नोटिस के अनुसार, वह गोरखपुर के जंगल कौड़िया में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
इसे भी पढ़ें: बदल रहा है गोरखपुर: कभी बदहाल थी अपनी गोरक्षनगरी, अब चल पड़ी है दिल्ली-एनसीआर की राह पर
वंदना ने विभाग से जानकारी ली तो पता चला कि उनके दस्तावेज पर बंदना पांडेय नौकरी कर रही थी। इसके बाद वंदना ने (बंदना उर्फ अर्चना) फर्जी शिक्षिका पर केस दर्ज कराया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया और विभाग ने उसे बर्खास्त भी कर दिया।
इस निर्णय के विरोध में फर्जी शिक्षिका हाईकोर्ट चली गई और कहा कि बिना उनका पक्ष जाने कार्रवाई कर दी गई। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बर्खास्त शिक्षिका को अपना पक्ष रखने के लिए दो बार बेसिक शिक्षा कार्यालय बुलाया गया, लेकिन वह नहीं पहुंची।
मैं ही हूं असली वंदना…मुझे नौकरी दें
वंदना पांडेय ने बताया कि वह यह जानने के बाद कि उनके दस्तावेज पर कोई और नौकरी कर रहा है तो इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। बावजूद इसके अबतक नौकरी नहीं मिल सकी है। अब 26 सितंबर के बाद फिर से गोरखपुर आकर स्थिति की जानकारी लूंगी।
गोरखपुर बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बंदना को अपना पक्ष रखने के लिए दो बार नोटिस जारी कर बुलाया जा चुका है, लेकिन अबतक वह अपना पक्ष रखने नहीं आई हैं। अगर वह 26 सितंबर तक अपना पक्ष रखने कार्यालय नहीं पहुंची तो इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट भेज दी जाएगी।