सम्मानित शिक्षक भाइयों और बहनों!
हमे समझना होगा कि हम उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन कार्यरत हैं,हमारी सेवा शर्तें केंद्रीय कर्मचारियों और राज्य कर्मचारियों से अलग हैं, वह तो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ है,जिसने अपने त्याग, समर्पण और संघर्ष की बदौलत बेसिक के शिक्षकों को सबसे विशिष्ट बना दिया है। आंदोलनों में शिक्षकों के संख्याबल का फायदा हमेशा राज्य कर्मचारियों ने उठाया और कैशलेस चिकित्सा सुविधा जैसे तमाम लाभ स्वयं ले लिया और हमको झुनझुना पकडा दिया।
25 जुलाई 1972 को बेसिक शिक्षा परिषद के गठन के पहले हमारे बेसिक के शिक्षक जिला परिषद और नगर परिषद के अधीन बंधुआ मजदूर की तरह काम करते थे,उनकी न कोई सेवा शर्त थी, न कोई नियत वेतनमान और न सम्मान। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संंघ 1921 मे अपने गठन के बाद से लगातार शिक्षकों के हित के लिए संघर्षरत रहा और 1967 मे शासन से मान्यता मिलने के बाद जिला परिषद और नगर परिषद की बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराने के संकल्प को लेकर 25 जुलाई 1972 को बेसिक शिक्षा परिषद का गठन कराकर शिक्षकों की सेवाशर्तों और अधिकार का निर्धारण करवाने मे सफल रहा,जो हमारे लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
बेसिक शिक्षा परिषद के गठन के बाद से पारिवारिक पेंशन, मृतक आश्रित नियुक्ति और केन्द्र के समान वेतनमान और अन्य भत्तों की मांग को लेकर 1986 मे उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने विधान सभा का घेराव किया, प्रदर्शन कारियों पर घोड़े दौडाये गये पर हमारे वीर और बलिदानी अग्रज अपने संकल्प से डिगे नहीं,सरकार को झुकना पडा और हमारे आस्था-विश्वास के केंद्र, हमारे मंदिर 87/9 शिक्षक भवन,रिसालदार पार्क लखनऊ आकर समझौता करना पडा और हमारी उपर्युक्त सभी मांगो के समर्थन मे लिखित राजपत्र जारी किया गया।
आपको यह बताते हुये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ का एक छोटा सा सिपाही होने पर हमे गर्व हो रहा है कि 1972 मे बेसिक शिक्षा परिषद के गठन और 1986 मे ऐतिहासिक आंदोलन और सफलताओं के समय तक उत्तर प्रदेश मे बेसिक शिक्षकों का केवल एक संगठन था और वह था उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, इसके अतिरिक्त अन्य कोई संगठन नहीं था,इसलिए आज जो भी हम मान-सम्मान और वेतनमान पा रहे हैं वह केवल और केवल उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की देन है।
1998 मे सरकार ने फिर हमारे साथ एक साजिश की,1986 के समझौते के अनुरूप पंचम वेतनमान तो स्वीकृत किया ही नहीं साथ ही एक शासनादेश जारी किया कि शिक्षकों की उपस्थिति के पावना (प्रपत्र-9) को ग्राम प्रधान द्वारा प्रमाणित करने के बाद ही वेतन मिलेगा,इस आदेश के बाद फिर 1972 के पहले वाली स्थिति आ गयी थी और शिक्षकों का आर्थिक शोषण और अपमानित करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी,उस समय शिक्षकों के मान-सम्मान और उनको गुलामी से बचाने के लिए आपके संगठन उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने लगातार 42 दिन तक हडताल किया,जिसको कुचलने के लिये सरकार ने एस्मा लगाया,जेल भेजा, 167 पदाधिकारियों की सेवा समाप्त की और हजारों शिक्षकों को निलंबित किया गया किंतु इतने दमन के बाद भी यह उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ताकत थी जो कि ग्राम पंचायत के अधीन करने वाले शासनादेश को निरस्त कराया,पंचम वेतनमान लागू कराया और जितनी भी कार्यवाही की गयी थी,वह सारी कार्यवाही बहाल कराई, इसके साथ-साथ आपका यह जानना भी आवश्यक है कि इस समय जो तमाम फर्जी संगठन, सरकारी संगठन उछल रहे हैं,उस समय इनका जन्म भी नहीं हुआ था। अकेले उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आपको जिला परिषद की अधीनता से मुक्त कराकर बेसिक शिक्षा परिषद का गठन कराया, 1986 मे विधान सभा घेरकर आपको पारिवारिक पेंशन, मृतक आश्रित नियुक्ति और केन्द्र के समान वेतनमान और भत्ते दिलाया, अकेले ही 1998 मे हडताल करके ग्राम पंचायत की अधीनता मे जाने से बचाया और पंचम वेतनमान दिलाया।
2000 के बाद तमाम नये-नवेले एशोसियेशन बने जिन्होंने शिक्षक हित मे तो कुछ नहीं किया पर शिक्षकों को गुमराह करके आपकी ताकत को कमजोर अवश्य किया है,लेकिन इसके बाद भी पुरानी पेंशन बहाली एकमात्र मांग को लेकर हड़ताल करने का साहस केवल उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने ही किया और सरकार के एस्मा लगाने के आदेश के बावजूद तीन दिन की ऐतिहासिक हडताल किया और हड़ताल समाप्त कराने के लिए सरकार को माननीय उच्च न्यायालय तक जाना पडा,इसके बाद भी जब अन्य सभी संगठन उत्तर प्रदेश की राजधानी मे आंदोलन करने से डरते हैं तब 2021 मे पुरानी पेंशन बहाली के लिए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इको गार्डन लखनऊ मे ऐतिहासिक आंदोलन किया और लाखों शिक्षकों से शपथ दिलाई कि हम पुरानी पेंशन के नाम पर वोट देंगे,उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आंदोलन और राजनीतिक निर्णय के बाद ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र मे पुरानी पेंशन को शामिल किया और उसके बाद कांग्रेस शासित प्रदेशों मे पुरानी पेंशन बहाली का रास्ता साफ हुआ।
आपलोग भावनाओं के ज्वार को थामकर विवेकवान बनिये और सोचिये कि देश मे जहां भी पुरानी पेंशन बहाल हुयी,उसको प्रदेश सरकार ने बहाल किया किंतु जिन संगठनों को विदेशों से और राजनीतिक दलों से फंडिंग मिल रही है,वह लोग बाबा की लाठी से डरकर लखनऊ मे धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं और आपको गुमराह करते हुये दिल्ली ले जा रहे हैं,जहां अपने मंच मे तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाकर पुरानी पेंशन बहाली की प्रबल मांग को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बलि चढाई गयी है।
सम्मानित भाइयों और बहनों!
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने बहुत त्याग और बलिदान से आपकी सेवा शर्तों को सुरक्षित किया और आपको सम्मानजनक वेतनमान और सम्मान दिलाया,आपको पंचायत के अधीन जाने से बचाया,इसलिए आज जब आपकी सेवा शर्तों के साथ खिलवाड हो रहा,आपकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा, आपके उपार्जित, स्टडी लीव, ई०एल० चले गये अब सी०एल० जाने का नम्बर है,यदि अभी आप मौन रहे तो आउटसोर्सिंग मे जाने से कोई नहीं रोक सकता है,इसलिए इसका दर्द केवल उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ को है,जिसने बलिदानों से इसको प्राप्त किया है,अन्य फर्जी और राजनीतिक संगठन को दर्द क्यों होगा,जब उन्होंने इसको पाने के लिए कुछ किया ही नहीं??
इसलिए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने निर्णय लिया है कि हम पुरानी पेंशन के साथ अपने अन्य अधिकारों के लिए भी लडेंगे,क्योंकि जब नौकरी बचेगी तभी हम पुरानी पेंशन की लड़ाई लड पायेंगे,जब हमारी सेवा शर्तें सुरक्षित रहेंगी तभी हम पुरानी पेंशन की लड़ाई लड पायेंगे, इसलिए भ्रम जाल को तोड़कर बाहर आइये और पुरानी पेंशन लेने तथा अपने अधिकार और सम्मान को बचाने के लिए 09 अक्टूबर को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय निशातगंज लखनऊ आकर लखनऊ मे बैठी सरकार और तानाशाह अधिकारियों को दिखा दीजिए कि हम अपने अधिकार और सम्मान से खिलवाड नही होने देंगे।
विनय कुमार पाण्डेय जिलाध्यक्ष
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ,श्रावस्ती ।