प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि अगर पति अस्वस्थ और गंभीर हालत में है तो उसकी पत्नी बतौर अभिभावक काम कर सकती है। बशर्ते पति और बच्चों का हित उसमें निहित हो। कोर्ट ने दिल्ली निवासी महिला को उसके बीमार पति का अभिभावक नियुक्त करते हुए उसके खातों का संचालन करने व भूमि के विक्रय का अधिकार दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने पूजा शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची का कहना था कि उसके पति विकास शर्मा की हालत गंभीर है। सिर पर चोट के कारण वह कोमा में हैं। उसकी सास बुजुर्ग हैं और वह भी बीमार हैं। प्राइवेट जॉब करने से याची की आमदनी इतनी नहीं है कि वह अपने पति का इलाज करा सके और बच्चे की देखभाल कर सके। ऐसी स्थिति में उसे पति के बैंक एकाउंट को संचालित करने की छूट दी जाए और उसके पति द्वारा गौतमबुद्धनगर में खरीदी गई जमीन को बेचने की अनुमति दी जाए।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद पति के स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए कहा है कि उसे 24 घंटे चिकित्सकीय सहायता की जरूरत है। उसकी सारी बचत राशि समाप्त हो चुकी है। इसलिए याची (पत्नी पूजा शर्मा) को पति का अभिभावक नियुक्त किया जाता है। याची अपने पति की ओर से निर्णय लेने की अधिकारी होगी। कोर्ट ने महानिबंधक को भी निर्देश दिया कि याची द्वारा बेची जाने वाली भूमि से मिलने वाली राशि को ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किया जाए, जिससे अधिकतम ब्याज मिल सके। साथ ही वह याची के खर्च के लिए बैंक से हर महीने 50 हजार रुपये देने का अनुरोध करेंगे, ताकि याची की चिकित्सकीय के साथ अन्य जरूरतें पूरी हो सकें।