● राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की गाइडलाइन के आाधार पर आदेश जारी
● डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों के तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए निर्णय
लखनऊ, । प्राइमरी स्कूलों के प्रधानाध्यापक अब अपने स्कूल के बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी हर पल नजर रखेंगे। सरकार ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए उनके स्कूलों के प्रधानाध्यापक को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से यह आदेश राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के गाइडलाइन के आाधार पर जारी किए गए है।
शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों के तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने स्कूलों में भी बच्चों के स्वास्थ्य की सूक्ष्म निगरानी के निर्देश दिए हैं। निर्देश में कहा गया है कि मौसम में बदलाव के साथ फैल रही संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए हर बच्चे पर नजर रखी जाए। खासकर इस मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया का संक्रमण बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में सभी 1.58 लाख प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी प्रधानाध्यापक को निर्देश दिये गये हैं कि यदि किसी बच्चे की तबीयत खराब होती है तो स्कूल में छुट्टी के बाद स्कूल के प्रधानाध्यापक उसके क्लास टीचर को लेकर बीमार पड़े बच्चें के घर जाकर न सिर्फ उसकी मिजाजपुर्सी करेंगे बल्कि उस बच्चे को ढ़ाढ़स बंधाएंगे। इतना ही नहीं निर्देश में यह भी कहा गया है कि बीमार बच्चे की निगरानी करते हुए पास के सीएमसी, पीएचसी या जिला अस्पताल में उसका इलाज कराएंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जारी इस गाइड लाइन में कहा गया है कि सभी परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई कर रहे छात्रों के स्वास्थ्य की निगरानी की जिम्मेदारी स्कूलों के प्रधानाध्यापक की होगी।
स्कूलों की साफ-सफाई करने के भी निर्देश
सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग के नाम जारी निर्देश मे कहा गया है कि स्कूल परिसर में सफाई नियमित रूप से की जाए। बच्चे फुलबांह की शर्ट पहनकर आएं, विद्यालयों में नियमित रूप से दवाओं का छिड़काव कराया जाए, स्कूल परिसर में किसी स्थान पर पानी जमा न होने दिया जाए। बच्चों को जूता-मोजा पहनकर आने के लिए कहा जाए। स्कूल परिसर में किसी भी स्थान पर कचरा एकत्रित न होने दें।