दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निजी स्कूलों में छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोगों की सिफारिशों पर अमल की निगरानी के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) गठित करने का निर्देश दिया है।
यह समिति निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यता प्राप्त निजी गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन और बकाया से संबंधित सिफारिशों पर अमल पर नजर रखेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि समिति का गठन केंद्रीय और जोनल स्तर पर किया जाएगा। साथ ही, शिक्षा निदेशालय (डीओई) को जोनल कमेटी बैठक के उद्देश्य से दो सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
वहीं, वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल न होन से आहत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित विभिन्न हितधारक समिति के समक्ष अपना पक्ष रख सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि समिति को एक ऐसा तंत्र तैयार करना चाहिए जिससे स्कूलों के पास अपेक्षित धन नहीं होने के बावजूद कर्मचारियों को बकाया भुगतान किया जा सके। जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा, अदालत मानती है कि यह एक खेदजनक स्थिति है कि स्कूल के कर्मचारी बच्चों की शिक्षा में योगदान देने के बजाय अदालत के समक्ष वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उस वेतन और भुगतान की मांग कर रहे हैं जिसके वे हकदार हैं।
यह समिति निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यता प्राप्त निजी गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन और बकाया से संबंधित सिफारिशों पर अमल पर नजर रखेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि समिति का गठन केंद्रीय और जोनल स्तर पर किया जाएगा। साथ ही, शिक्षा निदेशालय (डीओई) को जोनल कमेटी बैठक के उद्देश्य से दो सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
वहीं, वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल न होन से आहत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित विभिन्न हितधारक समिति के समक्ष अपना पक्ष रख सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि समिति को एक ऐसा तंत्र तैयार करना चाहिए जिससे स्कूलों के पास अपेक्षित धन नहीं होने के बावजूद कर्मचारियों को बकाया भुगतान किया जा सके। जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा, अदालत मानती है कि यह एक खेदजनक स्थिति है कि स्कूल के कर्मचारी बच्चों की शिक्षा में योगदान देने के बजाय अदालत के समक्ष वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उस वेतन और भुगतान की मांग कर रहे हैं जिसके वे हकदार हैं।
यह समिति निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यता प्राप्त निजी गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन और बकाया से संबंधित सिफारिशों पर अमल पर नजर रखेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि समिति का गठन केंद्रीय और जोनल स्तर पर किया जाएगा। साथ ही, शिक्षा निदेशालय (डीओई) को जोनल कमेटी बैठक के उद्देश्य से दो सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
वहीं, वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल न होन से आहत शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित विभिन्न हितधारक समिति के समक्ष अपना पक्ष रख सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि समिति को एक ऐसा तंत्र तैयार करना चाहिए जिससे स्कूलों के पास अपेक्षित धन नहीं होने के बावजूद कर्मचारियों को बकाया भुगतान किया जा सके। जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा, अदालत मानती है कि यह एक खेदजनक स्थिति है कि स्कूल के कर्मचारी बच्चों की शिक्षा में योगदान देने के बजाय अदालत के समक्ष वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उस वेतन और भुगतान की मांग कर रहे हैं जिसके वे हकदार हैं।
अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा अजेय हथियार
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा को अजेय हथियार करार दिया और कहा कि नियामक प्राधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ नियंत्रण रखना होगा कि देश के हर छात्र को समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित हो । अदालत का 136 पन्नों का फैसला निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यता प्राप्त निजी गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों में काम करने वाले विभिन्न कर्मचारियों की याचिकाओं पर आया है।