एक नजर इधर भी……….👇
रसोइया मानदेय LATE
शिक्षा-मित्र मानदेय LATE
अनुदेशक मानदेय LATE
कम्पोजिट ग्रांट LATE
MDM ग्रांट LATE
फल ग्रांट LATE
पदोन्नति LATE
शिक्षक स्थानांतरण LATE
अनुदेशक स्थानांतरण LATE
यूनिफॉर्म ग्रांट LATE
पाठ्य पुस्तकें सबसे ज्यादा LATE
हाफ CL- NIL
शार्ट लीव- NIL
EL – NIL
प्रोन्नत वेतनमान लगभग NIL
सारे APP – LATE जरुरत पर न चलें
*DG साहेब इन सबके लिए किसी की जिम्मेदारी निर्धारित कर कार्यवाही कर दीजिए I*
*हमारी महत्वपूर्ण मांगे पूर्ण न होने तक अब आपके आदेश का विरोध होगा l करा लीजिए निरीक्षण l*
हमे सबसे बड़ा मोटिवेशन लखनऊ से लेना चाहिए।जहां 90% लोग अपने घर के पास नौकरी कर रहे हैं।आवागमन के साधन उपलब्ध हैं।मार्ग सुलभ हैं।नेटवर्क की व्यवस्था अच्छी है।फिर भी वहाँ सिर्फ 1% लोगों ने उपस्थिति दर्ज की है।इसका मतलब दिक्कत सबको है हमे सिर्फ अपने पर अडिग रहना है।वेतन कटे तो कटवाया जाए।चाहें सस्पेंड किया जाए।रोज रोज जान में जोखिम डालने से अच्छा है।कि हम त्वरित आर्थिक नुकसान को सह लें।अगर हम ही नही रहेंगे तो जिसके लिए कमा रहे हैं वो कैसे जीवन यापन करेगा।
यहां न तो पुरानी पेंशन है न ही कैशलेस चिकित्सा।जो है वो शरीर ही है उसे ही सही सलामत रखना है अपनो के लिए।
महानिदेशक महोदय या अन्य कोई भी अधिकारी जिनको हजारों सुविधाएं हैं फिर भी वो आपसी एकता का परिचय देते हैं।आज तक कभी किसी बीएसए के ऊपर या बीईओ के ऊपर कार्यवाही को सुना है?जिसने अपने काम समय पर न किया हो।
अगर आप किसी की शिकायत भी करते हैं तो वो एक दूसरे को हर सम्भव मदद करते हैं बचाने के लिए।अगर न समझ आये तो कभी करके देख लीजिए।दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
हम और आप पचासों मतभेद पाल कर आपस मे ही एकदूसरे का नुकसान करते रहते हैं।लोकल v/s बाहरी आदि का विवाद त्याग कर एकीकृत होकर इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए।अगर बाहरी को 4 समस्याएं होंगी तो लोकल को कभी न कभी 2 समस्याएं होगी।ये पोर्टल तब नही देखेगा कि आपने सबसे पहले अपनी उपस्थिति दर्ज की थी तो आपका वेतन न काटे।
अतः संघठित रहिये।4% गया है कोई बात नही इसे 0% पर लाइये।हर परिस्थिति के लिए तैयार रहिये।
हर जगह मैसेज को प्रसारित करिये।
याद रखें उपस्थिति भले आप दे लें उसके बाद निपुण बनाने पर कार्यवाही होगी जो लोकल और बाहरी नही देखेगा।समय है चेत जाइये।🙏
ऑनलाइन हाजिरी v/s शिक्षक की मांग–
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ऑनलाइन हाजिरी हर शिक्षक को स्वीकार है,
हम इंसान हैं बस हमें रोबोट बनने से इंकार है।
कैलेंडर में दर्शायी छुट्टी करती हमें बदनाम है
लिखी कुछ मिलती कुछ, जो नहीं स्वीकर है।
कई जयंती व कई त्योहार पड़ा रविवार है,
कैलेंडर में उनको दर्शाना लगता बेकार है।
विशेष जयंती चलता कोई न कोई अभियान है,
सब पूरा करते हम फिर दिन चाहे रविवार है।
ग़र खुले स्कूल जो उस दिन कोई अवकाश है
क्यों बदले में नहीं मिलता प्रतिकर अवकाश है।
कई विद्यालय खेतों में या होता नदिया पार है,
इन रास्तो से गुजरना नहीं होता आसान है।
मीटिंग हो विद्यालय टाइम ये हमारी दरकार है,
ऑनलाइन हाजिरी हर शिक्षक को स्वीकार है।
पारिवारिक,वैयक्तिक कई आवश्यक काम है,
मिले हाफ डे लीव व अर्न लीव हमारी मांग है।
निशुल्क चिकित्सा शिक्षक का भी अधिकार है,
कोई सुविधा नहीं राज्य कर्मचारी के समान है।
पदोन्नति की कबसे ही रुकी पड़ी रफ्तार है,
जबकि विभागीय प्रमोशन 3 वर्षीय प्रावधान है।
पुरानी पेंशन की हर कर्मचारी लगाए आस है,
बिन पुरानी पेंशन बुढ़ापा होता खस्ता हाल है।
सारा ही कार्य लिंक व एप्प से होता तत्काल है,
फिर हमारी जायज माँगों से क्यों करते इंकार है।
निम्न शर्तो के साथ मुझे: ऑनलाइन(बायोमेट्रिक)हाजिरी स्वीकार है:-पहले मुझे दे दीजिए,
1, 28 EL
2, 14 हाफडे लीव
3, बिना प्रीमियम के निःशुल्क चिकित्सा सुविधा,राज्य कर्मचारियों के समान।
4, अनहोनी/मृत्यु होने पर आश्रित को नौकरी, और 1करोड़ मुआवजा।
5, समयानुसार,वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन, अन्तः जनपदीय व अंतर्जनपदीय स्थानांतरण।
6, अमानवीय, जबरदस्ती के गैर शैक्षिकआदेशों से मुक्ति।
7, जिन अवकाश के दिनों में विद्यालय खुलते हैं, उनके बदले,अवकाश दे दीजिए।
निश्चित रूप से जिस तरह से सात जनपदों के शिक्षक एकजुट होकर अपनी एकता का परिचय दे रहे हैं वह अत्यंत ही सराहनीय कार्य है सिर्फ एक दो परसेंट ऐसे कुलद्रोही लोग हैं जो संगठन की आवाज के विपरीत काम कर रहे हैं वह सर्व था निंदनीय कहे जाएंगे.
इन जनपदों के बीएसए द्वारा वेतन भुगतान न करने की चेतावनी जारी की जा रही है किंतु शिक्षक अब पूरी तरह से कुर्बानी देने को तैयार हो चुके हैं निश्चित रूप से बिना कुर्बानी के कोई सफलता प्राप्त होने वाली नहीं है. इस बार शिक्षक समाज यदि चूक गया तो उसका बहुत ही बुरा परिणाम होगा. इसलिए अपनी अस्मिता को बचाने के लिए बिल्कुल एकजुट रहने की नितांत आवश्यकता है। 🙏
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