मेजा, । बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली से परेशान प्राथमिक विद्यालय चौकी द्वितीय के बच्चों के अभिभावक बहुत दुखी हैं। शिक्षक की कमी को लेकर नाराज अभिभावकों का धैर्य जवाब दे गया। प्रधान बगहा की अगुवाई में पहुंचे सैकड़ों अभिभावकों ने विभाग व सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जमकर भड़ास निकाली। चेतावनी दी कि यदि सप्ताह भर के भीतर पद के हिसाब से शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई तो वह स्कूल के गेट पर तालाबंदी करने के बाद बच्चों के साथ बीआरसी उरुवा पहुंच धरना देंगे।
प्रधान सुनीता सिंह के प्रतिनिधि ठाकुर सितम सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी त्रुटि यह है कि स्कूल बगहा ग्राम पंचायत में चल रहा है, लेकिन इसका नाम चौकी द्वितीय रखा गया है। कहा कि कक्षा एक से लेकर पांच तक के नौनिहाल बच्चों को एक शिक्षक पढ़ा रहा है, अब सोचने वाली बात है कि एक शिक्षक आखिर पांच कक्षाओं का संचालन एक साथ कैसे कर सकता है। यह हाल दो वर्षो से अनवरत चल रहा है। जिससे बच्चों की संख्या निरंतर घटती चली जा रही है। सरकारी स्कूल में कोई भी अभिभावक अपने बच्चे का भेजना नहीं पसन्द कर रहा है। यहां के दो शिक्षक पुष्पेन्द्र शुक्ल को करछना व विवेकानंद मिश्र को चाका विकास खंड का एआरपी बना कर भेज दिया गया है। दोनों शिक्षक इसी स्कूल के नाम पर वेतन प्राप्त कर रहे हैं। बताया कि कुछ माह पहले मुख्यमंत्री के पोर्टल पर समस्या भेजी गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था चौपट करने पर विभाग के अधिकारी तुले हुए हैं। धरना देने वालों में मनोज कुमार विश्वकर्मा, मूलचन्द, सुनील कुमार, राजू पटेल, राम नारायण यादव, कैलाश पटेल, बाबा, शेरू पटेल, विष्णु शंकर पटेल, रामानंद यादव, श्री निषाद, जरीना बेगम, शिव प्रसाद सहित कई अभिभावक उपस्थित रहे। उधर इसी तरह का हाल समहन जूनियर हाई स्कूल का है, जहां एक शिक्षिका शिक्षण ब्यवस्था का संचालन कर रही है। यहां की सहायक शिक्षिका अरूणा जैसल को विकास खंड उरुवा के कस्तूरबा गांधी में अटैच कर दिया गया है। एक तरफ परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार करोड़ो रुपए खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर शिक्षकों की कमी से नौनिहालों को ककहरा का ज्ञान नहीं हो पा रहा है।
छह साल में दोगुने से ज्यादा राजकीय के हुए सेंटर
परीक्षा में पारदर्शिता के लिए बोर्ड ने राजकीय विद्यालयों पर भरोसा जताया है। इसकी बानगी पिछले छह साल के आंकड़े में देखने को मिल रही है। वर्ष 2018 में 484 राजकीय विद्यालयों को सेंटर बनाया गया था। वर्ष 2024 में 1017 राजकीय विद्यालय को सेंटर बनाए गए हैं। इसी प्रकार 2018 में एडेड के 3414 सेंटर बनाए गए थे। वर्तमान में 3537 सेंटर बनाए गए हैं। यानी छह साल में 123 एडेड विद्यालय बढ़े हैं। वहीं, 2018 में 8549 वित्तविहीन विद्यालय में सेंटर बनाए गए थे। इस साल यह संख्या 3310 हो गई है। यानी छह साल में वित्तविहीन विद्यालयों में तकरीबन तीन गुना सेंटर कम कर दिए गए हैं।