लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक छह घंटे की कक्षा में दो घंटे बेसिक शिक्षा विभाग के मोबाइल एप पर समय दे रहे हैं। इसकी वजह से बच्चों की नियमित रूप से कक्षाएं नहीं हो पा रही है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी से पूरे दिन बच्चों की कक्षाएं नहीं होती है। शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय में संचालित 14 से अधिक योजनाओं और कार्यक्रम में पूरे दिन व्यस्त होने की वजह से बच्चों की कक्षाएं कम हो रही हैं।
इन शिक्षकों का कहना है कि पहले से ही बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े 14 से अधिक एप पर शिक्षक सेवा दे रहे हैं। अब ऑनलाइन हाजिरी की नई व्यवस्था उनके लिए सिरदर्द बना है। विद्यालयों में शिक्षक व छात्रों की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था का विरोध हो रहा है। एक शिक्षक ने बताया कि विद्यालयों में संचालित होने वाली योजनाओं व कार्यक्रम में प्रेरणा पोर्टल, शारदा एप, रीड एलाॅग, मानव संपदा, डीबीटी, निशुल्क पुस्तक, मध्याह भोजन, निपुण लक्ष्य, दीक्षा पोर्टल, समर्थ एप, बाल वाटिका कायाकल्प व पीएफएमएस शामिल हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में कम से कम दो घंटे का समय लगता है। छह घंटे की कक्षाओं में चार घंटे ही बच्चों के लिए शिक्षण कार्य कर पाते हैं।
नया सीखने पर जोर दें शिक्षक
शिक्षकों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए ही इस तरह की व्यवस्थाएं विद्यालयों में लागू की गई हैं। इसी के तहत ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था भी है। शिक्षकों को विरोध करने से ज्यादा कुछ नया सीखने पर जोर देना चाहिए। शिक्षकों को समय-समय पर इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि कार्यअवधि में ऑनलाइन व्यवस्था पर काम कर सकें।
– अरुण कुमार, बीएसए
स्कूल के नियुक्त हो तकनीकी कर्मचारी
ऑनलाइन व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है क्योंकि ये शिक्षक पूरे दिन बेसिक शिक्षा विभाग पर कई एप पर काम कर रहे हैं। पिछले साल का डाटा भी यू-डायस पोर्टल पर अपडेट मांगा जा रहा है जो कि पहले से ही फीड है। ऐसे कई कार्य हैं जिनकी वजह से शिक्षकों को पढ़ाने का समय नहीं मिल पाता। हमारी मांग है कि अगर ऑनलाइन व्यवस्था करनी है तो विद्यालय में एक तकनीकी कर्मचारी की नियुक्ति की जाए।
– वीरेंद्र सिंह, महामंत्री- उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ