राज्य सरकार के अधीन 16 विभागों ने पांच साल में 4.76 लाख करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए। विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। खर्च न करने वालों में वित्त विभाग पहले और सबसे नीचे आवास विकास विभाग है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी अनुदान के अंतर्गत सतत बचतों का मतलब है कि या तो योजनाओं और कार्यक्रमों पर काम नहीं किया गया अथवा धीमी गति से काम किया गया। इसके परिणामस्वरूप 16 विभाग पांच साल में 4.76 लाख करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सके। वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 के बीच के ऑडिट में पाया गया कि बेहद महत्वपूर्ण विभागों ने धीमी गति से काम किया या फिर किया ही नहीं।
पांच साल में खर्च न करने वाले विभागों का लेखा-जोखा
विभाग — बजट जो खर्च न हुआ
आवास विकास — 6570 करोड़
मध्यम उद्योग — 16500 करोड़
कृषि व अन्य — 37264 करोड़
गृह विभाग — 22421 करोड़
चिकित्सा — 13616 करोड़
चिकित्सा (परिवार कल्याण) — 10620 करोड़
नगर विकास विभाग — 35074 करोड़
न्याय विभाग — 12947 करोड़
महिला बाल कल्याण — 16240 करोड़
राजस्व विभाग — 6925 करोड़
वित्त विभाग (ऋण) — 105783 करोड़
वित्त विभाग (भत्ते) — 52013 करोड़
शिक्षा विभाग (प्राथमिक) — 70423 करोड़
शिक्षा विभाग (माध्यमिक) — 11141 करोड़
समााज कल्याण — 43720 करोड़
सिंचाई विभाग — 15674 करोड़