यूपी में शिक्षकों के लिए आनलाइन हाजिरी का पायलट प्रोजेक्ट असफल होता नज़र आ रहा है। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की तमाम तरह की चेतावनी व सख्ती के बावजूद एक प्रतिशत से भी कम शिक्षकों ने ही प्रयोग के तौर पर शुरू इस व्यवस्था को आत्मसात करने की कोशिश की है।
पहली दिसम्बर से यह व्यवस्था प्रदेश के सभी जिलों में लागू होनी थी लेकिन पायलट प्रोजेक्ट का ही सड़क से सदन तक इतना विरोध हुआ कि बेसिक शिक्षा विभाग इसे आगे नहीं बढ़ा पाया। इस बीच स्कूल शिक्षा महानिदेशक के तबादले के बाद फिलहाल यह व्यवस्था ठंडे बस्ते में जाती दिख रही है। जुलाई में ही इस व्यवस्था को लागू किये जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। 20 नवम्बर को इसे प्रदेश के सात जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू कर दिया गया। इसके तहत कुल 12 रजिस्टरों का सरलीकरण किया गया। तकनीक आधारित डिजिटल माध्यम से अभ्यस्त किए जाने के लिए प्रेरणा पोर्टल पर डिजिटल रजिस्टर नाम से नया मॉड्यूल विकसित किया गया।
इन 12 डिजिटल रजिस्टरों में से एक रजिस्टर जो शिक्षकों की उपस्थिति से जुड़ा है, को शिक्षकों ने कतई पसंद नहीं किया। पहले दिन से ही इसका विरोध शुरू हो गया। इसके खिलाफ प्रदेश व्यापी आन्दोलन हुए और विधान परिषद में शिक्षक दल के नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया।
लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव तथा श्रावस्ती में पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। कुछ दिनों बाद लखनऊ को बदल कर बाराबंकी में यह प्रयोग शुरू किया गया लेकिन बाद में फिर लखनऊ में ही इसे जारी रखने का निर्णय किया गया।