नई दिल्ली, । आय कर बचाने के लिए मकान किराया भत्ता, स्वास्थ्य बीमा, होम लोन पर खर्च, 80-सी के तहत कर बचत निवेश में गड़बड़ी करने वालों को आयकर विभाग ने नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।
विभाग धारा 133-सी के तहत नोटिस भेज रहा है। इस माह की शुरुआत में ही मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों की बड़ी कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं।
धारा 133-सी कर अधिकारियों को विवरण सत्यापित करने के लिए जानकारी मांगने का अधिकार देती है। विशेषज्ञों के अनुसार, नोटिस जारी कर कंपनियों से या तो जानकारी की पुष्टि करें या एक सुधार विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा जा रहा है। इसका उद्देश्य उन मामलों को पता लगाना है, जहां या तो कंपनी ने अपेक्षा से कम टीडीएस काटा है या कर्मचारी अतिरिक्त निवेश घोषणाओं के जरिए रिफंड का दावा कर रहे हैं जो वर्ष के दौरान पहले नहीं बताया गया था।
कंपनियां टीडीएस की सही गणना करें जानकारों का कहना है कि कानून नियोक्ता को जिम्मेदार बनाता है कि वह अपने कर्मचारियों के टीडीएस की सही गणना करे। हर तिमाही में इसकी रिपोर्ट करे, लेकिन परंपरागत रूप से कंपनियों का ध्यान कर्मचारियों द्वारा घोषणाओं का बारीकी से सत्यापित करने पर नहीं रहा है। कुछ मामलों में कर्मचारी समय पर वास्तविक दस्तावेज जमा नहीं करते हैं। इतना ही नहीं कई कंपनियां पेरोल जॉब आउटसोर्स करती हैं।
फर्जी दावे पर कर्मियों के रिकॉर्ड की जांच किसी कर्मचारी के फर्जी दावे को कंपनियां स्वीकार करती हैं तो आयकर विभाग के तंत्र में यह खामी उजागर नहीं होती है। मगर, दो सूचनाओं में अंतर तुरंत पकड़ में आता है। यह मामला आयकर कार्यालय की पकड़ में आने पर पूरी संभावना है कि सभी कर्मचारियों के रिकॉर्ड की जांच की जा सकती। इसका उद्देश्य गलत दावों के आधार पर रिफंड के मामलों को जानना है।
धारा 133-सी का बहुत कम उपयोग
वित्तीय वर्ष 2014-15 में धारा 133-सी की शुरुआत की गई थी। अब तक इसका कम ही उपयोग किया गया है। हाल में इसके तहत कई कंपनियों को नोटिस दिए गए हैं। यह अहम है कि कंपनी या कर्मचारियों के स्तर पर सिर्फ सही मामलों को ही जांच के लिए उठाया जाए।
यहां से फॉर्म डाउनलोड करें
आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल https// www. incometax. gov.in/ पर जाकर फॉर्म 71 डाउनलोड कर सकते हैं। फॉर्म में आपको आयकर घोषणा से संबंधित पूरी जानकारी दर्ज करनी होगी।