यूपी के 66000 सामान्य अध्यापक तीन लाख से अधिक दिव्यांग बच्चों को विशेष अध्यापकों की भांति शिक्षा देंगे। इसके लिए इन सामान्य शिक्षकों को 90 दिन का क्रॉस डिसएब्लिटी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
Education for the disabled: उत्तर प्रदेश के 66000 सामान्य अध्यापक तीन लाख से अधिक दिव्यांग बच्चों को विशेष अध्यापकों की भांति शिक्षा देंगे। इसके लिए इन सामान्य शिक्षकों को 90 दिन का क्रॉस डिसएब्लिटी प्रशिक्षण दिया जाएगा जो प्रदेश के सभी 75 जिलों में ब्लॉक स्तर पर प्रदान किए जाएंगे। यह प्रशिक्षण 80 दिन ऑनलाइन माध्यम से दीक्षा पोर्टल द्वारा और शेष बचे 10 दिन ऑफ लाइन माध्यम से मास्टर ट्रेनों द्वारा प्रदान किया जाएगा।
इस क्रॉस डिसेबिलिटी मॉड्यूल को सर्व शिक्षा अभियान, डॉक्टर शकुंतला मिश्रा रास्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, यूनिसेफ, साइट सेवर्स एवं चेंज इंक फाउंडेशन के सहयोग से विकसित किया गया है। दो चरणों के इस क्रॉस डिसेबिलिटी माड्यूल में दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग चेकलिस्ट उपचारात्मक पहल, अध्यापकों द्वारा शिक्षण एवं क्लासरूम मैनेजमेंट, व्यक्तिपरक मूल्यांकन के लिए अनुकूलन, टीचिंग लर्निंग मटेरियल, पैरंट काउंसलिंग आईसीटी का उपयोग आदि विषयों को शामिल किया गया है।
चेंज इंक फाउण्डेशन के सलाहकार अमरेश चन्द्रा कहते हैं कि नोडल टीचरों के इस प्रशिक्षण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मानकों को ध्यान में रखते हुए अर्ली इंटरवेंशन होम बेस्ड एजुकेशन के साथ-साथ विशिष्ट अधिगम क्षमता वाले बच्चों के शैक्षणिक विकास को भी विस्तृत रूप से शामिल किया गया है। इस माड्यूल में डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया, डिसकैल्कुलिया डिस्प्रैक्सिया, दृष्टि बाधित , श्रवण बाधित, बौद्धिक दिव्यांगता, आटिज्म दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के विभिन्न आयामों को शामिल किया गया है।
दिव्यांगों को अभी 2300 विशेष अध्यापक दे रहे शिक्षा
यूपी में करीब तीन लाख दिव्यांग बच्चे अभी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे हैं, जिन्हें करीब 2300 विशेष अध्यापक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ये विशेष अध्यापक दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित ,बौद्धिक दिव्यंगता, फिजियोथैरेपिस्ट तथा ऑडियोलॉजिस्ट के रूप में विशेष बीएड एवं डिप्लोमा की डिग्री रखते हैं। इन्हीं 2246 विशेष अध्यापकों का उपयोग मास्टर ट्रेनर के रूप में ब्लॉक स्तर पर किया जाएगा।
नोडल टीचर्स की इस ट्रेनिंग से दिव्यांग बच्चों को होगा सर्वाधिक लाभ
नोडल टीचर्स ट्रेनिंग के इस प्रशिक्षण का सर्वाधिक लाभ दिव्यांग बच्चों की शिक्षा में होगा क्योंकि अभी तक विशेष अध्यापक दिव्यांग बच्चों तक हफ्ते में कुछ समय ही पहुंच पाते थे। परंतु नोडल टीचर्स के अधिकतर अध्यापक उन विद्यालयों के ही हैं, जिनमें दिव्यांग बच्चे नामांकित हैं। अतः 90 दिवसीय इस क्रॉस डिसेबिलिटी प्रशिक्षण के पश्चात प्रत्येक विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए नियमित रूप से अध्यापक उपलब्ध हो जाएंगे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
दिव्यांगता के बारे में सामान्यत: शिक्षक हो या आम व्यक्ति उन्हें इनके साथ कैसा व्यवहार करना है आमतौर पर नहीं मालूम होता। दिव्यांगों को किस प्रकार से पढ़ाएं या सिखाएं कि वे आसानी से समझ सकें। इसका प्रशिक्षण सामान्य शिक्षकों को दिया जा रहा है ताकि दिव्यांग छात्रों के लिए जरूरी विशेष शिक्षकों की कमी दूर हो सके। नंद कुमार, स्टेट प्रोजेक्ट आफिसर, उत्तर प्रदेश सर्वशिक्षा अभियान।