यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए केंद्र बनाने में हुई गड़बड़ी की जांच शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डॉ. महेंद्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने अफसरों को जांच कर तीस जनवरी तक अपनी आख्या यूपी बोर्ड के सचिव को भेजने के लिए कहा है।
यूपी बोर्ड ने इस साल की परीक्षा के लिए 7884 केंद्र बनाए थे। इनमें प्रदेश के 1017 राजकीय इंटर कॉलेज और 3537 अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेज भी शामिल थे। इन केंद्रों का चयन छह सितंबर 2023 को शासन की ओर से जारी की गई केंद्र निर्धारण नीति के तहत इस काम के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर के जरिए किया गया था। चयन से पूर्व माध्यमिक विद्यालय की ओर से यूपी बोर्ड को उपलब्ध कराई गई समस्त आधारभूत सूचनाओं का जिला विद्यालय निरीक्षकों से परीक्षण भी करवाया गया था। सॉफ्टवेयर से तैयार सूची जब जिला स्तर बनी समिति को भेजी गई तो समिति ने केंद्र बनाए गए 1017 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 461 और 3537 एडेड कॉलेजों में से 58 को बाहर कर दिया। केंद्रों की संख्या 7884 से बढ़ाकर 8265 कर दी गई। सरकार की आर्थिक सहायता से चलने वाले इन दोनों श्रेणी के कॉलेजों को इतनी बड़ी संख्या में केंद्र सूची से बाहर करना चौंकाने वाला था क्योंकि केंद्र निर्धारण नीति में स्पष्ट प्रावधान था कि पहले राजकीय फिर एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाया जाएगा। उसके बाद वित्त विहीन विद्यालय केंद्र बनाए जाएंगे। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने पिछले दिनों केंद्र निर्धारण में की गई गड़बड़ियों पर नीति नई, नीयत पुरानी टैगलाइन से समाचार श्रृंखला प्रकाशित किया था। इसके तहत राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर करने सहित केंद्र निर्धारण में हुई अन्य गड़बड़ियों को उजागर किया गया था। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), जो यूपी बोर्ड के सभापति भी होते हैं, ने केंद्र सूची से राजकीय और एडेड कॉलेजों को बाहर करने का संज्ञान लेते हुए प्रदेश के सभी मंडलों के उप शिक्षा निदेशकों को जांच कर तीस जनवरी तक आख्या यूपी बोर्ड को देने का आदेश दिया है। जांच में यह स्पष्ट करना है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर करने का आखिर क्या कारण था।
चारों जिलों के डीआईओएस से मांगा जवाब
शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डॉ. महेंद्र देव के आदेश पर प्रयागराज मंडल के उप शिक्षा निदेशक ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मंडल के चारों जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर इस संबंध में आख्या उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने पूछा है कि राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर किए जाने का कारण क्या था। उन्होंने डीआईओएस से जनपदीय समिति की कार्यवृत्त एवं डीएम की संस्तुति सहित आख्या संबंधी पत्र भी मांगा है।