डिजिटल उपस्थिति एवं डिजिटल पॅजिकायें किये जाने सम्बन्धी सभी आदेश को संसाधन उपलब्ध न होने तक रोक लगाए जाने के सम्बंध में। महोदय,
अनुरोध के साथ अवगत कराना है कि आपके स्तर से जून 2023 के शासनादेश का संदर्भ लेते हुए परिषदीय विद्यालयों की पेंजिकाएँ एवं आन लाइन उपस्थिति दिए जाने हेतु कड़ाई से कई निर्देश दिए जा चुके हैं तथा आदेश लगातार जारी हो रहे हैं। जबकि इस व्यवस्था को संसाधनों के आभाव के कारण कर पाना सम्भव नहीं है। प्रदेश के परिषदीय शिक्षकों की समस्याओं को दृष्टिगत कई ज्ञापन निदान हेतु उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश द्वारा आपको दिये जा चुके हैं तथा व्यक्तिगत मिलकर भी कठिनाइयों से अवगत कराया चुका है। परंतु सब कुछ जानने के उपरांत भी उक्त कार्य करने हेतु जबरदस्ती दण्डात्मक कार्यवाही का भय दिखाकर करने को कहा जा रहा है। यह लोकतंत्र की हत्या है, अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात है। और प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को प्रताड़ित करने का नया तरीका है। जो कि स्वीकार योग्य नहीं है।
महोदय, प्रदेश का बेसिक शिक्षक उक्त कार्यों का विरोधी नहीं है परंतु संसाधनों के अभाव में उक्त कार्य सम्पन्न कर पाने में असमर्थ भी है। जबकि आप द्वारा 09 फरवरी 2023 को जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 15 फरवरी से दो पंजिकाओं को डिजिटल रूप में ही स्वीकार किया जाएगा। इस आदेश से यह स्पष्ट हो जाता है कि विभाग कोई व्यवस्था नहीं देगा परन्तु विभागीय अधिकारी दण्ड का भय दिखाकर या दण्डित करके प्रदेश के शिक्षकों को प्राप्त होने वाला वेतन विभागीय अधिकारी जबरदस्ती छीन कर विभाग पर ही व्यय करा देंगे। तथा शिक्षक का निजी पहचान पत्र विभागीय कार्य मे लगाकर उसकी गोपनीयता को भी सार्वजनिक करा दिया जाएगा। जो संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है।
महोदय, प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को उक्त कार्य सम्पन्न कराने में निम्न समस्याएं आ रहीं है जिनका निदान आवश्यक है। निदान हुए बिना उक्त कार्य किसी भी स्थिति में
सम्भव नही है। कठिनाइयां निम्नवत हैं।
1- अभी सभी विद्यालयों को टेबलेट नहीं दिया गया है।
2- जिन विद्यालयों को टेबलेट उपलब्ध कराया गया है उन विद्यालयों को टेबलेट संचालन हेतु विभागीय सिम एवं डाटा अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है।
3- जिन विद्यालयों को अब तक टेबलेट नहीं उपलब्ध कराए गए हैं वह विद्यालय उक्त दो पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन कहाँ करें? जब उनके पास संसाधन व्यवस्था ही नहीं है इसलिए सम्भव नहीं है।
4- निजी मोबाइल में करने हेतु निर्देश दिए गए हैं। मोबाइल सम्बन्धित शिक्षक का है जो निजी प्रयोग हेतु लिया गया है। उसमें सरकारी कार्य नहीं किया जा सकता। और न ही प्रदेश का शिक्षक सहमत है।
महोदय, उपरोक्त समस्या समाधान हेतु आपसे अनुरोध के बाद भी आपके स्तर से समस्या निवारण हेतु कोई भी पहल नहीं की गई। और न ही मांग पत्रों पर कोई कार्यवृत्ति ही जारी गयी है। प्रदेश के शिक्षकों की सेवा सम्बन्धी समस्याएं है वह मांगपत्र के रूप में आपके पास उपलब्ध है उन पर भी कोई समाधान नहीं दिया गया। इस प्रकार की प्रताड़ना से प्रदेश का बेसिक शिक्षक आहत और आक्रोशित है। तथा आंदोलन के अतिरिक्त अब कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। प्रदेश के बेसिक शिक्षकों की अब आम भावना बन गयी है कि यदि विभाग जबरदस्ती, दण्डात्मक कार्यवाही का भय दिखाकर उक्त कार्य शिक्षकों के निजी सिम और मोबाइल से कराने हेतु बाध्य करने की कोशिश करेगा तो शिक्षक कार्यवाहियों से शिक्षक भयभीत होने वाला नहीं है। ऐसी दशा में प्रदेश का बेसिक शिक्षक अपने निजी मोबाइल में अब तक डाउनलोड की गयी सभी सरकारी ऐपों, लिंको, यू ट्यूब चैनलों को बाध्य होकर अनस्टाल रिमूव कर देगा। जिससे विभाग के महत्वपूर्ण कार्य भी बाधित होने की पूर्ण सम्भावना रहेगी। जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विभाग के अधिकारियों का होगा। क्योकि शिक्षक सरकारी कार्यों में बाधक नहीं बनना चाहता परन्तु विभागीय अधिकारी उक्त कार्यों में भी बाधक बनाना चाहते है। शिक्षक जबरदस्ती के विरुद्ध शांतिपूर्ण आंदोलन हेतु भी बाध्य होगा।
अतः उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश आपसे यह अनुरोध करता है कि जब तक संसाधन विभाग उपलब्ध नहीं करा देता है तब उक्त प्रक्रिया को रोक दिया जाए। साथ ही प्रदेश के बेसिक शिक्षकों से सम्बंधित आपके समक्ष पूर्व में प्रस्तुत 11 सूत्रीय मांगपत्र का भी निराकरण करने का कष्ट करें। उपरोक्त समस्या समाधान हेतु अबिलम्ब संगठन के साथ वार्ता कर समाधान निकालने का भी कष्ट करें।
महोदय, जब तक संसाधन विभाग द्वारा विद्यालयों उपलब्ध नहीं करा दिए जाते तब उक्त कार्यों का वहिष्कार प्रदेश का बेसिक शिक्षक करता रहेगा। अपने मोबाइल और अपने सिम से कोई भी विभागीय कार्य प्रदेश का बेसिक शिक्षक नहीं करेगा।