प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पारिवारिक संपत्ति की लालच में तनाव और संघर्ष में उलझते रिश्तों को सुलझाने के लिए दिल बड़ा करने की जरूरत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग लालच और अज्ञानता के शिकार होकर पारिवारिक रिश्ते को संघर्ष में धकेल रहे हैं। कलह से निपटने के लिए पक्षों को खुले दिल और दिमाग से विचार करना चाहिए।
यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने बिजनौर की 74 वर्षीय विनीता मेहरोत्रा की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली। याची विनीता और दो अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ उसके 73 वर्षीय सगे भाई राकेश शर्मा ने पैतृक संपत्ति के
विवाद में धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। बिजनौर के थाना कोतवाली नगर स्थित सिविल लाइंस के धर्म भवन के मालिक और बिजनौर जिला कचहरी के पूर्व शासकीय अधिवक्ता सहदेव की तीन संतानें थीं। इनमें सबसे बड़ी याची विनीता मेहरोत्रा, दूसरे नंबर पर मुकदमा वादी राकेश शर्मा और तीसरी बेटी संगीता नारंग हैं। विनीता के पति रिटायर्ड आईएएस हैं और
राकेश शर्मा वकील हैं। सहदेव को यह संपति पिता धर्मवीर से मिली थी, जिस पर उसका और उसकी पत्नी कुसुम शर्मा का कब्जा था। दोनो की मौत के बाद विनीता ने मुकदमा दाखिल कर भाई राकेश को संपत्ति बंटवारे को लीगल नोटिस भेजा। राकेश की ओर से अपंजीकृत वसीयत के आधार पर पूरी 2400 वर्ग गज संपत्ति पर दावा किया गया। इसी बीच बहन विनीता ने अपने हिस्से की 800 वर्ग गज जमीन में से 647 वर्ग गज जमीन शंकर लाल और मोहम्मद तलीब को बेच दी। इससे खफा भाई राकेश शर्मा ने सगी बहन विनीता के खिलाफ धोखाधड़ी समेत कई अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई। संवाद