लखनऊ। बेबी वॉकर नौनिहालों के पैरों की हड्डी को टेढ़ा कर रहा है। मजबूती देने की बजाए हड्डियों और मांसपेसियों को कमजोर बना रहा है। वहीं बिना सहारे चलने की आदत पर भी लगाम कसता है। केजीएमयू पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक्स विभाग की ओपीडी में इन परेशानियों के साथ बच्चे लाए जा रहे हैं।
पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक्स विभाग की प्रत्येक ओपीडी में 100 से 125 बच्चे हड्डी से जुड़ी बीमारियों के साथ आ रहे हैं। एक साल में 20 हजार से ज्यादा बच्चे ओपीडी में देखे जा रहे हैं। बहुत से बच्चों की एड़ी व घुटने में समस्या देखने को मिल रही है। बीमारी की वजह जानने के लिए डॉक्टर जांच करा रहे हैं। छह से आठ माह के बीच बच्चों के पैरों में एड़ी संबंधी परेशानी की वजह वॉकर पाई गई है। ऐसे बच्चों की संख्या करीब 25 है। माता-पिता बच्चा जल्द चल सके, इसके लिए बच्चे को वॉकर देते हैं। बच्चा उसमें बैठकर पैरों के सहारे एक से दूसरे स्थान की ओर जाते हैं। पीडियाट्रिक आर्थोपैडिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास वर्मा का कहना है कि 11 माह से पहले बच्चे को बहुत चलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
चलने के पैटर्न में स्थाई गड़बड़ी की आशंका
डॉ. विकास का कहना है कि जिन शिशुओं को वॉकर के साथ प्रशिक्षित किया गया है, उनमें चलने के पैटर्न में स्थाई गड़बड़ी की आशंका बहुत अधिक होती है क्योंकि छोटे बच्चों के पैरों की हड्डियां काफी नरम होती हैं। ऐसे में दबाव या बोझ पड़ने से उनमें दिक्कत आ सकती है।
वॉकर से हड्डियों में विकार पनपने का खतरा
● वॉकर के सहारे चलने से शरीर का पूरा बोझ एड़ी, घुटनों समेत दूसरे जोड़ों पर पड़ता है।
● इससे हड्डियों में विकार पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
● मांसपेशियों की वृद्धि और विकास बाधित होता है।
● टेढ़ी हड्डी व घुटनों संबंधी परेशानी के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, ऐसे में समय रहते डॉक्टरी सलाह बेहद जरूरी है