नई दिल्ली। देशभर के 200 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व शिक्षाविदों ने कुलपतियों की चयन प्रक्रिया पर राहुल गांधी की तरफ से लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की है। शिक्षाविदों ने पत्र में लिखा, कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया योग्यता, विद्वतापूर्ण विशिष्टता और अखंडता के मूल्यों पर आधारित कठोर, पारदर्शी प्रक्रिया के लिए जानी जाती है। चयन पूरी तरह से शैक्षणिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित होता है। राहुल गांधी ने राजनीतिक लाभ लेने के इरादे झूठ का सहारा लेकर बड़े पैमाने पर कुलपतियों को बदनाम किया है। पत्र पर 181 विश्वविद्यालय के कुलपतियों व 19 विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई, यूजीसी के प्रमुख शामिल हैं। इनके अलावा जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, दिल्ली विवि के कुलपति योगेश सिंह और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष टीजी सीताराम समेत विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षाविद भी शामिल हैं। राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी का नाम लिए बिना पत्र
में कहा गया है कि इस प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले लोग निराधार अफवाहें फैलाने से बचें। इसके बजाय विवेक व तथ्यों के आधार पर बात करें, साथ ही गतिशील और समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाने के साझा लक्ष्य में रचनात्मक और सहायक संवाद में भाग लें।
आरोप मूर्खतापूर्ण, पीएम नहीं करते नियुक्त : शर्मा
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रसाद शर्मा ने कांग्रेस नेताओं के आरोपों को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री कार्यालय या आरएसएस से नहीं होती है। उन्होंने कहा कि कई कांग्रेस शासित राज्यों के विश्वविद्यालयों व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों
व शिक्षाविदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं, क्या उन्हें भी आरएसएस और पीएम मोदी ने नियुक्त किया है।
कांग्रेसी बोले, चुन-चुनकर सबको बाहर करेंगे
राहुल का बचाव करते हुए कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर, अविनाश पांडे व अजय राय ने पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों को आरएसएस से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा कि सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा के कुलपति भगवती प्रसाद शर्मा आरएसएस के स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक हैं। टैगोर ने कहा कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही सबसे पहले ऐसे लोगों को चुन-चुनकर बाहर किया जाएगा।