नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को ब्याज मुक्त या रियायती दर पर ऋण से मिलने वाला लाभ एक अनूठा लाभ है। यह एक ‘अनुलाभ’ की प्रकृति में है और इस प्रकार आयकर अधिनियम के तहत कराधान के लिए उत्तरदायी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह भी कहा कि बेंचमार्क के रूप में एसबीआई की व्याज दर का निर्धारण न तो मनमाना है और न ही शक्ति का असमान प्रयोग है। क्योंकि नियम बनाने वाली अथॉरिटी ने असमान के साथ समान व्यवहार नहीं किया है।
पीठ ने कहा, वाणिज्यिक और कर कानून अत्यधिक संवेदनशील और जटिल होते हैं, क्योंकि वे कई समस्याओं से निपटते हैं और आकस्मिक होते हैं। यह अदालत संबंधित कानून में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी, जो दुरुपयोग की संभावनाओं को रोकता है और निश्चितता को बढ़ावा देता है। अदालत ने यह भी माना कि प्रावधान करदाताओं के लिए अन्यायपूर्ण या कठोर नहीं हैं। पीठ ने एसबीआई की प्रमुख उधार दर को बेंचमार्क के रूप में चार्ज करने की मंजूरी देते हुए कहा, एक जटिल समस्या को एक समान फॉर्मूले के माध्यम से हल किया गया है, जो न्यायिक स्वीकृति के योग्य है।