एटा। परिषदीय विद्यालयों से बच्चों को दी जाने वाली नई पुस्तकें रद्दी में बिक गईं। इन पर चाट-पकौड़े बेचे जा रहे हैं। शिक्षा विभाग इस पूरे मामले में कठघरे में खड़ा है। पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने में अफसर झिझक रहे हैं। विभागीय जांच की बात कही जा रही है। यदि इस मामले की गंभीरता से जांच हुई तो जिम्मेदारों की गर्दन फंस सकती है।
परिषदीय, राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को मुफ्त पुस्तकें देने का प्रावधान है। इस शैक्षिक सत्र में कक्षा 3 से 8 तक के 110312 विद्यार्थियों के लिए 1132326 पाठ्य पुस्तकें शासन द्वारा यहां भेजी गईं। बेसिक शिक्षा कार्यालय से इनको बीआरसी के माध्यम से विद्यालयों में पहुंचाया गया। जहां से इनका बच्चों को वितरण किया गया। विभाग के अनुसार सभी पाठ्य पुस्तकों का वितरण बच्चों को कर दिया गया। लेकिन जलेसर के कबाड़ व्यवसायियों के यहां लगातार कुछ लोग रद्दी के रूप में इसी शैक्षिक सत्र की नई किताबों को बेच रहे हैं। जहां से फुटकर में ठेल-खोमचे आदि के व्यापारी इन्हें खरीदकर चाट-पकौड़े आदि रखकर बिक्री के लिए उपयोग में ला रहे हैं।
यूं तो नई शैक्षिक सत्र की किताबें खुलेआम रद्दी में पाया जाना फर्जीवाड़ा और चोरी का मामला बनता है। जिसमें रिपोर्ट कराई जाए तो पुलिस अपनी तरह से जांच कर दोषियों तक पहुंच सकती है। सीसीटीवी कैमरों की भी मदद ली जा सकती है। पता लग सकत है कि कौन रद्दी बेचने आया। लेकिन विभाग की मंद जांच दोषियों को संभलने का मौका दे रही है। बीएसए दिनेश कुमार का कहना है कि जलेसर की खंड शिक्षा अधिकारी जांच कर रही हैं। साथ में बीआरसी, एबीआरसी को भी लगाया गया है। एक-एक विद्यालय के रिकॉर्ड का मिलान और सत्यापन किया जा रहा है। जांच आख्या मिलने पर अगली कार्रवाई की जाएगी।