प्रयागराज। पीसीएस जे मुख्य परीक्षा के आयोजन को एक साल बीत चुके हैं, लेकिन यह अब पूरी तरह सवालों के घेरे में है। एक अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका में हैंडराइटिंग मैच नहीं करने व कुछ पेज फाड़ने के आरोप का मामला कोर्ट में जाने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने मुख्य परीक्षा की सभी कॉपियों की जांच शुरू करा दी है। जांच पूरी होने के बाद कॉपी की अदला-बदला का सच सामने आ सकेगा।
अपनी उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन करने के बाद अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने आपत्ति की है कि अंग्रेजी की उत्तर-पुस्तिका की हैंडराइटिंग उसकी हैंडराइटिंग से मेल नहीं खाती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने
मुख्य परीक्षा की सभी कॉपियों का वेरिफिकेशन शुरू करा दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उत्तर पुस्तिका वास्तविक है या कोई विसंगति तो नहीं हुई है।
यानी आयोग कॉपी बदले जाने के आरोपों को अभी खारिज नहीं कर रहा है। आयोग की ओर से न्यायालय में दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि मुख्य परीक्षा में 3019 अभ्यर्थी
शामिल हुए थे, जिनके छह विषयों की कुल 18042 उत्तर पुस्तिकाएं हैं। आयोग की ओर से अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं पर अनुक्रमांक के स्थान पर फेक मास्टरकोड अंकित होता है।
आयोग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि फेक मास्टरकोड को डिकोड करने के बाद ही वास्तविक उत्तर पुस्तिका का पता चल सकेगा।
इसके बाद ही 18042 उत्तर पुस्तिकाओं में से अभ्यर्थी की अंग्रेजी विषय की कॉपी निकाली जा सकेगी। इसके साथ ही आयोग को न्यायालय में सभी छह विषयों की उत्तर पुस्तिकाएं प्रस्तुत करनी हैं। आयोग ने जांच शुरू करा दी है और उत्तर पुस्तिकाओं पर दर्ज फेक मास्टरकोड को डिकोड किया जा रहा है।
तकनीकी गड़बड़ी या षडयंत्र ?
जांच के बाद यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि अभ्यर्थी का दावा सही है या गलत। अगर दावा सही है कि ऐसा किसी षडयंत्र के तहत किया गया या तकनीकी गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ। मामले का सच सामने आने के बाद आयोग अपने स्तर से बड़ी कार्रवाई कर सकता है। फिलहाल, बीते दिनों आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण के बाद विवादों में घिरे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को अब एक और चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।