वाराणसी, । परिषदीय स्कूलों में एक महीने चले प्रवेशोत्सव के बावजूद नए एडमिशन की स्थिति अच्छी नहीं है। बनारस के 71 परिषदीय स्कूल ऐसे हैं, जहां कुल छात्र संख्या ही 50 से कम है। इन स्कूलों में बच्चों की कम संख्या की समीक्षा की तैयारी है। हालांकि राहत की बात यह है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के मामले में बनारस प्रदेश में नीचे से चौथे स्थान पर है।
यूडायस पोर्टल से 10 जून को जारी डेटा में प्रदेश स्तर पर 27,931 परिषदीय विद्यालयों का आंकड़ा जारी किया गया है। इन विद्यालयों में कुल छात्र संख्या 50 से कम है। 1035 स्कूलों के साथ आगरा इस मामले में सबसे खराब हालत में है। सबसे अच्छी स्थिति में 9 स्कूलों के साथ भदोही, 35 स्कूलों के साथ श्रावस्ती और 66 स्कूलों के साथ चंदौली हैं।
अंतिम से चौथे पायदान पर मौजूद बनारस में ऐसे 62 प्राथमिक और 9 उच्च प्राथमिक विद्यालय चिह्नित किए गए हैं जहां 50 से कम बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूलों के यूडायस कोड पर पंजीकृत बच्चों के आधार पर जारी इस संख्या के बाद समीक्षा के आदेश दिए गए हैं। स्कूलों को भी इस संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए 20 जन तक का समय दिया गया है।
एक अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत
के साथ ही स्कूलों में ‘स्कूल चलो अभियान’ की शुरुआत कर दी गई थी। एक महीने के अभियान के बाद मई में ‘बुलावा’ और ‘घर-घर दस्तक’ जैसे अभियान भी चलाए गए। इसके बाद भी स्कूलों में प्रवेश की स्थिति खराब है। बीएसए डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने कहा कि स्कूलों में कम छात्र संख्या की समीक्षा की जा रही है। इसके पीछे स्कूल की दूरी, रास्ते या अन्य कारणों को भी देखा जाएगा। कई स्कूलों से डेटा अपलोड में लापरवाही
के कारण भी यह स्थिति बनी है।
नए आदेश ने भी बढ़ाई मुसीबतः
स्कूलों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों ने कम छात्र संख्या के पीछे नए आदेश को भी कारण बताया।
उन्होंने कहा कि नए आदेश के मुताबिक इस सत्र से परिषदीय स्कूलों में उन्हीं बच्चों को प्रवेश लिया जाना था जिनकी आयु एक अप्रैल को 6 वर्ष या इससे ज्यादा हो चुकी थी। 15 दिन बाद भी 6 वर्ष के होने वाले बच्चों के प्रवेश आंगनबाड़ी में कराने के निर्देश दिए गए थे। इस आदेश के कारण प्रवेश के विकल्प कम हुए और स्कूल में नए बच्चों की संख्या कम हो गई।