ज्ञानपुर। मध्याह्न भोजन निधि से चार सालों में नियमों के विरुद्ध जाकर छह लाख 80 हजार रुपये निकालने के मामले में प्राथमिक विद्यालय तुलापुर के हेडमास्टर अनुराग तिवारी को बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने निलंबित कर डीघ बीआरसी से अटैच कर दिया है। इस गबन के मामले में दो सदस्यीय टीम की जांच रिपोर्ट मिलने पर यह कार्रवाई की गई।
गोपीगंज के सुजातपुर गांव निवासी पुनीत कुमार ने कुछ महीने पूर्व आईजीआरएस पर गबन की शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया था कि प्राथमिक विद्यालय तुलापुर में हेडमास्टर मध्याह्न भोजन योजना में धांधली कर रहे हैं। डीएम के निर्देश पर बीएसए ने जांच के लिए दो सदस्यीय टीम बनाई। टीम ने वर्ष 2020 से अप्रैल 2024 तक मध्याह्न भोजन योजना के एक-एक अभिलेखों की जांच की। इसमें पाया गया कि 17 सितंबर 2020 से चार अप्रैल 2024 तक मिड डे मील योजना में कुल आठ लाख 79 हजार 449 रुपये भेजे गए। इसमें तीन लाख 92 हजार 108 व्यय होना चाहिए, जबकि चार लाख 87 हजार 313 शेष रहना चाहिए, लेकिन हेडमास्टर अनुराग तिवारी ने छह लाख 80 हजार स्वयं निकाल लिए। यह निकासी गबन की श्रेणी में आती है। यही नहीं कोरोना महामारी के दौरान कन्वर्जन कॉस्ट और खाद्यान्न की राशि अभिभावकों के खाते में भेजी जानी थी, लेकिन कुछ को छोड़कर अन्य के पैसे में गड़बड़ी की गई। विद्यालय प्रबंध समिति के खातों का विवरण मांगने पर उपलब्ध नहीं कराया गया। बैंक ऑफ बड़ौदा से स्टेटमेंट लेने पर पता चला कि जिस दिन धनराशि भेजी गई। उसके अगले दिन ही सिंगल वेंडर आईडी से इसे निकाल लिया गया।
फर्जी एसआइटी अधिकारी बन कर कई सहायक अध्यापकों को लगाया चूना
यही नहीं निलंबित हेड मास्टर अनुराग तिवारी के खिलाफ फर्जी एसआईटी अधिकारी बनकर सहायक अध्यापकों को चूना लगाने का भी आरोप है। इस मामले में लखनऊ में उन पर कई मुकदमें भी दर्ज हैं। स्कूल को डिजिटल बनाने के लिए एक टैबलेट दिया गया था। इसे उन्होंने गायब कर दिया। शिकायतों से विभाग की छवि धूमिल होते देख और गबन का आरोप सही मिलने पर बीएसए ने हेडमास्टर को निलंबित कर दिया।
नहीं माना कोर्ट का आदेश, माह भर बाद केस दर्ज नहीं
अक्सर विवादों में रहने वाली गोपीगंज कोतवाली पुलिस अब एक मामले में फिर चर्चा में है। ताजा मामला कोर्ट के आदेश का है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सबिहा खातून ने एसआइटी अफसर बनकर शिक्षकों से अवैध वसूली करने वाले तुलापुर रोही के सहायक अध्यापक अनुराग तिवारी के खिलाफ महीने भर पूर्व मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन स्थानीय पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर पुलिस कोर्ट के आदेश पर भी केस क्यों दर्ज नहीं कर रही है।