। प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों से यूजी, पीजी या सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में पढ़ाई के बीच में ही सीट छोड़ने वालों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दे दी है। अब उन्हें इसके लिए अर्थ दंड नहीं देना होगा, जो सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के लिए 5 लाख रुपये तक था जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा संबंधित छात्र से पूरी फीस वसूली जाती थी। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह के इस प्रस्ताव पर शासन ने स्वीकृति दे दी है।
मेडिकल छात्रों के हित में सरकार ने बड़ा फैसला किया है। दरअसल एमबीबीएस या बीडीएस करने वाला कोई छात्र यदि बीच में सीट छोड़ता है तो अभी तक उसे एक लाख रुपये अर्थदंड देना होता था। जबकि एमडी या एमएस करने वालों को सीट छोड़ने पर 5 लाख रुपये और सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम डीएम या एमसीएच के छात्रों को बीच में सीट छोड़ने पर एक लाख रुपये अर्थदंड देने की व्यवस्था तय थी।
एनएमसी ने अर्थदंड को समाप्त किए जाने को लेकर राज्य सरकार को सुझाव दिया था। इसी आधार पर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। इसे मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी इस शर्त के साथ दी गई है कि यदि किसी अभ्यर्थी द्वारा पाठ्यक्रम पूर्ण करने से पूर्व सीट छोड़ी जाती है तो उसे अगले शैक्षणिक सत्र की प्रवेश प्रक्रिया से डिबार कर दिया जाएगा। यानि सीट छोड़ने के बाद अगले साल वो नीट की परीक्षा नहीं दे पाएंगे।