मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के दरम्यान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बीते 24 घंटों के दरम्यान सर्पदंश, अतिवृष्टि व डूबने से कुल पांच लोगों के मरने की जानकारी राहत आयुक्त कार्यालय के नियंत्रण कक्ष ने दी है। बांदा में सर्पदंश से एक व्यक्ति की मौत हुई जबकि बहराइच में अतिवृष्टि से दो व डूबने से दो लोग मरे। फिलहाल प्रदेश में सभी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार बुधवार को मानसून की ट्रफ लाइन फिरोजपुर, रोहतक, लखनऊ, बलिया, पूर्णिया होकर गुजर रही थी। आगे यह उत्तरी दिशा की ओर और बढ़ेगी इस वजह से लखनऊ सहित आसपास के इलाकों में भारी बारिश के आसार बन रहे हैं। बीते 24 घंटों के दरम्यान प्रदेश में सबसे अधिक 24 सेंटीमीटर बारिश बस्ती में दर्ज की गई।
इसके अलावा बाराबंकी के फतेहपुर में 20, बिजनौर के नगीना में 20, बिजनौर में 16, गोरखपुर के मुखलिसपुर, संतकबीरनगर के घनघटा, महाराजगंज के निचलौल में 15-15, बरेली के बहेड़ी, शाहजहांपुर, बिजनौर के धामपुर में 13-13, बलिया के गायघाट, बरेली के नवाबगंज, खीरी के मोहम्मदी में 12-12 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई।
इसके अलावा गोरखपुर के बांसगांव, महाराजगंज, मुरादाबाद, संत कबीरनगर के मेहंदावल में 11-11, रामपुर के साहाबाद, शाहजहांपुर के पुवायां में नौ-नौ, पीलीभीत, महाराजगंज के नौतनवां, गोरखपुर के चन्द्रदीपघाट, महाराजगंज के त्रिमोहिनीघाट में आठ-आठ सेण्टीमीटर बारिश रिकार्ड हुई।
बाढ़ के लिए प्रदेश के सभी अस्पतालों को किया गया अलर्ट
बाढ़ और उसके बाद होने वाले संक्रामक रोगों को लेकर प्रदेश के सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। शासन ने इसे लेकर सभी अपर मंडलीय स्वास्थ्य निदेशकों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी किया है। निदेशक (स्वास्थ्य) को प्रदेश स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया गया है जबकि सभी सीएमओ से जिला स्तर पर एक नोडल अफसर की तैनाती करने को कहा गया है। बाढ़ चौकियों और बाढ़ राहत शिविरों में डॉक्टरों व स्टाफ की ड्यूटी लगाने के आदेश दिए गए हैं। वहीं प्रभावित जिलों के अस्पतालों में अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती को भी गया है।
मानसून आने के साथ ही प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसे देखते हुए सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश में कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को आकस्मिक चिकित्सा सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता है। अतिवृष्टि या बाढ़ की स्थिति में खासतौर से मलिन बस्तियों में संक्रामक रोक एवं वैक्टर जनित रोग फैलने की संभावना अधिक हो जाती है। इसकी रोकथाम के लिए अस्पतालों में समुचित व्यवस्थाएं की जाएं।
निर्देश दिए गए हैं कि जिला प्रशासन द्वारा स्थापित बाढ़ चौकियों और राहत शिविरों पर चिकित्सकों व स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाए। इसमें अनुभवी लोगों को प्राथमिकता दी जाए। राहत केंद्रों पर जरूरी दवाओं, ओआरएस पैकेट के साथ ही ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरीन टेबलेट, लार्वीसाइडल आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा एंटी स्नेक वेनम तथा शिशुओं के टीकों की जरूरत का हिसाब से उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। राहत शिविरों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट किया जा सके। इसके साथ ही बाढ़ प्रभावित जिलों में ज्यादा सतर्कता बरते जाने को कहा गया है। वहां के अस्पतालों में अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं।
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