प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने भर्ती परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। आयोग हर अभ्यर्थी की आंख की पुतली (आइरिस कैप्चरिंग) से उसकी पहचान करेगा। बायोमीट्रिक हाजिरी भी ली जाएगी और हर केंद्र सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगा। यूपीपीएससी में सीसीटीवी कंट्रोल रूम की स्थापना कर दी गई है।
आयोग की ओर से हाल ही में आयोजित की गई सहायक नगर नियोजक प्रारंभिक परीक्षा-2023 में प्रयोग के तौर पर इसे लागू किया गया। इन दिनों आयोजित की जा रही अपर निजी सचिव भर्ती के तहत द्वितीय चरण की कंप्यूटर टंकण और आशुलिपिक परीक्षा के दौरान सीसीटीवी कैमरों से केंद्रों की निगरानी की जा रही है। आयोग परिसर में स्थापित किए गए कंट्रोल रूम से केंद्रों की सीधी निगरानी की जा रही है।
आयोग के सूत्रों ने बताया पीसीएस, आरओ/एआरओ, पीसीएस जे और आयोग की अन्य सभी परीक्षाओं में आइरिस कैप्चरिंग, बायोमीट्रिक हाजिरी और सीसीटीवी
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कैमरों के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया है। पीसीएस, आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में तो लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं और प्रदेश के ज्यादातर जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाते हैं।
परीक्षा के दौरान हर केंद्र तक आयोग के किसी प्रतिनिधि का पहुंच पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में आयोग ने इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी एक एजेंसी को सौंप दी है। परीक्षा के दौरान हर अभ्यर्थी की बायोमीट्रिक हाजिरी और आइरिस कैप्चरिंग होगी। इससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि परीक्षा देने वाला अभ्यर्थी वास्तविक आवेदक है या नहीं।
बड़ी बात यह कि आयोग परिसर से प्रदेशभर के परीक्षा केंद्रों पर नजर रखी जा सकेगी। परीक्षा के दौरान एजेंसी की ओर से हर केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे, जो सीधे आयोग परिसर स्थित सीसीटीवी कंट्रोल रूम से जुड़े रहेंगे। आयोग ने एक टीम भी गठित कर दी है, जिसके सदस्य परीक्षा के दौरान कंट्रोल रूम से केंद्रों पर लगातार नजर रखेंगे। ब्यूरो
हर केंद्र में मेटल डिटेक्टर से होगी तलाशी
आयोग की भर्ती परीक्षाओं के दौरान हर केंद्र पर मेटल डिटेक्टर से तलाशी ली जाएगी, ताकि अभ्यर्थी अनुचित साधन की कोई सामग्री अपने साथ न ले जा सकें। मेटल डिटेक्टर की व्यवस्था भी एजेंसी करेगी। आयोग की परीक्षाओं में पहली बार इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है