प्रतापगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग के सामने बंद एवं एकल परिषदीय स्कूलों में मानक के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति करने की चुनौती से जूझना पड़ सकता है। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में थोक के भाव शिक्षण कार्य के लिए लगाए गए शिक्षकों को जब तक उनके मूल विद्यालयों में तैनात नहीं किया जायेगा तब तक समायोजन किया जाना विभाग के गले की हड्डी बन सकता है। ऐसे में बंद एवं एकल स्कूलों में तैनाती के लिए लागू की गई समायोजन व्यवस्था फिलहाल पूर्ण रूप से लागू नहीं होती दिखाई पड़ रही है।
अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लागू होने के बावजूद चालू सत्र में अभी तक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक मिलाकर कई परिषदीय स्कूल बंद हैं। इनके अलावा बड़ी तादाद में स्कूल शिक्षामित्र विहीन एक हैं। इन बंद स्कूलों को खोलने के साथ शिक्षामित्र विहीन एक शिक्षक वाले स्कूलों में दूसरे टीचर की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने थोक के भाव अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए ही नहीं लगाया गया बल्कि शासन की आंख में पट्टी बांध कर उनकी उसी स्कूल में विधिवत तैनाती को अंजाम दे दिया गया। अंग्रेजी माध्यम में नियुक्त वाले टीचर नियमानुसार उस विद्यालय के शिक्षक माने जाएंगे ये जहां मूल रूप से तैनात रहे। मिली जानकारी के मुताबिक अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षण कार्य हेतु तैनात शिक्षकों के आदेश में स्थानांतरण शब्द का उल्लेख न होकर सिर्फ शिक्षण कार्य किए जाने का उल्लेख बीएसए द्वारा किए गए है।
संघ के पदाधिकारियों की मिलीभगत से संबंधित अंग्रेजी माध्यम के शिक्षको का वेतन भुगतान भी उसी विद्यालय से कर दिया गया जहां उन्हें शिक्षण कार्य के लिए लगाया गयाथा। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से पूर्व में तैनात शिक्षको का समायोजन होता है तो समायोजित शिक्षक कोर्ट का रुख अख्तियार करेंगे जो विभाग के लिए चुनौतियों से भरा होगा। ऐसे में कई वर्षों से रुकी समायोजन की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाना विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी। बता दें की अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए तैनात किए गए शिक्षकों के लिए शासन द्वारा जारी आदेश में उन्हें विकास खंडों में चयनित स्कूलों में ही तैनाती के निर्देश जारी किए गए थे जिन्हें विभाग के उच्चाधिकारियों की सह पर उनके घरों के पास के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में ही तैनाती कर स्थानांतरण का रूप दे दिया गया और तो और वेतन भी गुपचुप तरीके से उसी विद्यालय से भुगतान कर दिया गया जहां उन्हें शिक्षण कार्य करने के लिए तैनाती दी गई थी।