राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए डिजिटल हाजिरी की अनिवार्यता को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया है। साथ ही उनकी समस्याओं व सुझावों को सुनने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित करने का निर्णय किया है। यह कमेटी शिक्षा के सभी आयामों पर विचार कर सुधार के लिए सुझाव देगी।
मंगलवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग एवं शिक्षक संगठनों की बैठक हुई जिसमें डिजिटल हाजिरी को अग्रिम आदेशों तक स्थगित रखने का निर्णय किया गया। बताया जाता है कि यह आदेश आगामी दो माह तक प्रभावी रह सकता है। इस दौरान बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। शिक्षा जगत में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिए बगैर वर्ष 2047 में प्रधानमंत्री के विकसित भारत के लक्ष्य को नहीं प्राप्त किया जा सकता.
मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप, अधिकारियों को दिए निर्देश
शिक्षा विभाग के आदेश के बाद शिक्षक स्कूल जा रहे थे और काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज करा रहे थे। धरना-प्रदर्शन भी कर रहे थे। दूसरी तरफ कई विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायक व मंत्री भी शिक्षकों के साथ आ गए थे। उन्होंने भी सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दो बार इस मामले में हस्तक्षेप किया और बातचीत से हल निकालने के आदेश अधिकारियों को दिए थे।