*टैबलेट आपदा- शिक्षकों की क्रांति..!!*
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मैंने अतीत में अनेकानेक बार कहा है कि किसी के भी शोषण की परिपाटी ऐसी नहीं बनानी चाहिये कि विद्रोह हो जाए।
▪️2018 से ही बेसिक में उथल-पुथल मचा दिया गया है।कभी ये एप तो कभी वो एप, कभी ये प्रशिक्षण तो कभी वो प्रशिक्षण और न जाने क्या क्या..! हम शिक्षकों को बहु-उद्देशीय यांत्रिक उपकरण बना दिया गया है। वस्तुस्थिति यह है कि हमसे हमारा मूल काम शिक्षण छीनकर बाकी सब कराया जा रहा है। स्थिति अब परिवर्तित होनी चाहिए। बेसिक अब परिवर्तन से गुजरेगा और अनिवार्यतः गुजरेगा।
▪️ आप टैबलेट से उपस्थिति लेना चाहते हैं, कल सुबह से चालू कीजिये किन्तु दो प्रश्न है कि
1. अन्य विभागों में सुधार कब होगा….?
2. हमें राज्य कर्मचारी कब माना जाएगा…?
▪️नियम बनाईये कि प्रतिदिन लेखपाल सबसे पहले अपने सेवित क्षेत्र में आये, सुबह पहुँचते ही अपनी उपस्थिति ग्राम पंचायत भवन में लगाए। फिर अपने क्षेत्र में जाए, शाम को फिर आये और उपस्थिति लगाए। लेखपाल कैसे कार्य करते हैं, आपको भी ज्ञात है और हमको भी..! एक हथबरारी में दस दस साल लग जाते हैं।
▪️नियम निर्मित कीजिये कि ग्राम पंचायत अधिकारी सुबह आठ बजे ग्राम सभा में आये, पंचायत भवन में अपनी मोबाइल से फोटो भेजे। एक ग्राम पंचायत अधिकारी कैसे कार्य करता है आपको भी ज्ञात है हमको भी..!! एक मृत्यु प्रमाणपत्र, एक नकल साहब कैसे बनाते हैं, सबको पता है।
▪️नियम बनाईये कि सुबह होते ही डॉक्टर साहब सुबह सात बजे स्वास्थ्य केंद्रो और अस्पतालों में पहुँचकर अपनी सेल्फी भेजेंगे।
▪️ नियम बनाईये कि प्रदेश के सभी बाबू सुबह 9 बजे कार्यालय में पहुँचकर अपनी सेल्फी भेजेंगे।
▪️नियम बनाईये कि प्रदेश भर के थानों में प्रत्येक कोने में सी सी टी वी लगेंगे और सभी कार्मिकों की ऑनलाइन अटेंडेंस लगेगी।
▪️ नियम बनाईये कि तहसील और कचहरी में कार्यरत सभी कर्मचारी ईमानदारी से कार्य करेंगे।
▪️नियम बनाईये कि एक गरीब जो स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में इधर उधर भटक रहा है उसको भटकना नहीं पड़ेगा।
▪️नियम बनाईये कि लोक निर्माण विभाग में कार्यरत सभी अभियंता, अधिशासी अभियंता समेत सभी बाबू अत्यंत ईमानदारी से कार्य करेंगे।
▪️नियम बनाईये कि आर टी ओ ऑफिस में कार्य ईमानदारी से होंगे। जो भी अनुज्ञप्ति प्राप्त करने जाएंगे उन्हें ईमानदारी से अनुज्ञप्ति प्राप्त हो जायेगी।
▪️नियम बनाईये कि माध्यमिक और उच्च शिक्षा में कार्यरत समस्त शिक्षक ससमय उपस्थिति होकर ऑनलाइन उपस्थिति देंगे।
▪️नियम बनाईये कि यदि किसी के मानवाधिकार का अतिक्रमण होगा तो अतिक्रमणकर्ता कर्मचारी/अधिकारी की सेवा समाप्ति चौबीस घंटे में हो जायेगी।
▪️ नियम बनाईये कि प्रदेश की सभी सड़के उत्तम स्थिति में रहेंगी।
▪️नियम बनाईये कि किसानों की आत्महत्याएँ नहीं होंगी।
▪️नियम बनाईये कि प्रतिवर्ष प्रदेश के विभिन्न विभागों में भर्तियां आयेंगी।
▪️नियम बनाईये कि किसानों को सस्ते से सस्ता उर्वरक उपलब्ध होगा।
▪️नियम बनाईये प्रदेश के सभी बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा होगी।
▪️नियम बनाईये कि मेडिकल माफियाओं को खत्म कर दिया जाएगा।
▪️नियम बनाईये कि बड़े बड़े नेता, मंत्री, विधायक इनके द्वारा किये गए किसी भी अपराध पर इनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी।
▪️आप यह सब नहीं कर पाएंगे क्यों… क्योंकि आप एक पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं कि अध्यापक स्कूल नहीं जाता है। अध्यापक पढ़ाता नहीं। अध्यापक बिना श्रम के वेतन ले रहा है। निश्चित रूप से हम वेतन लेते हैं लेकिन यक़ीन मानिये सरकार इसमें एक भी पैसा हराम का नहीं होता है। हम किसी से किसी का काम कराने के लिए नहीं लेते हैं। हम ईमानदारी से कमाते है और ईमानदारी से खाते हुए मर जाते हैं। हम अपनी तनख्वाह से कुछ नहीं बना पाते हैं। जीवन भर यूँ ही संघर्ष करते, नमक तेल लकड़ी इंतजाम करते बीत जाता है।
खैर..!!
▪️अब शिक्षक जागृत हुआ है और ऐसा जागरण दशकों बाद आया है। आपको हमारी मांगें माननी ही पड़ेंगी।
आपको-
1. पेंशन देना पड़ेगा
2. राज्य कर्मचारी की दर्जा देना पड़ेगा
3. कैशलेस चिकित्सा सुविधा देना पड़ेगा
4. मैरिटल लीव देनी पड़ेगी
5. प्रतिमाह महिलाओं को दो विशेष अवकाश देना ही पड़ेगा
6. 30 ई एल देना ही पड़ेगा
7. 15 हाफ डे लीव देना पड़ेगा
8. प्रतिवर्ष भर्तियां देनी ही पड़ेंगी
9. दिव्यांग शिक्षकों के स्थानांतरण की विशेष नियमावली बनानी ही पड़ेंगी
10. प्रतिवर्ष अन्तः जनपदीय/अंतर्जनपदीय स्थानांतरण करना ही पड़ेगा।
11. विद्यालयों में पुस्तकें ससमय भिजवानी पड़ेंगी।
12. शिक्षक को सभी शिक्षणेतऱ कार्यों से कार्यमुक्त करना पड़ेगा।
13. वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
14. एच आर ए के रूप में मिलने वाला भत्ता बढ़ाया जाए।
▪️अब हम शिक्षक मानसिक रूप से परेशान हो चुके हैं। सबने अपना धैर्य खो दिया है। विगत सात वर्षों में बात-बात पर हमारे भाईयों का निलंबन कर दिया जाता है। न जाने कितने साथियों का तर्कहीन आधार पर वेतन अवरुद्ध कर दिया गया है।
▪️अब हम सब मुक्ति चाहते हैं। विगत सात वर्षों से दिन ब दिन हमारा जमकर शोषण हुआ है। प्रत्येक शिक्षक दुःखी है। सब स्वयं को कोस रहे हैं। सब अपने भाग्य पर रो रहे हैं।
▪️यदि आपको बेसिक शिक्षक और बेसिक शिक्षा से इतनी समस्या है तो आपसे आग्रह करुँगा, आप तो बहुत शक्तिशाली हैं। प्राथमिक उच्च प्राथमिक सभी विद्यालयों को बन्द कर दीजिये। हम शिक्षकों को छोटे छोटे हिस्सों में बांटकर किसी विभाग में मर्ज कर दीजिये। भला बिना सामाजिक ताना, विभागीय शोषण सहे सुकून से दो रोटी खाएंगे। लेकिन लांछन न लगाएँ साहब। हम शिक्षकों ने सदैव माँ सरस्वती की उपासना की है। लाल और नीली कलम ही हमारी पूँजी है और कुछ नहीं है हमारे पास।हम शिक्षकों को अभिशाप देने पर विवश न करें।🙏🏻
▪️हमारी मांगों को मानते हुए, प्रदेश के सभी विभागों के लिए ऑनलाइन सेल्फी अटेंडेंस लागू कर दीजिये, फिर देखिये कैसे प्रदेश बदल जाता है। यदि उपरोक्त विचारानुसार कार्य नहीं होता है तो यक़ीन मानिये साहब ये छः लाख शिक्षक निलंबित और बर्खास्त होने के लिए भी तैयार हैं। आप विभाग से निकालना चाहते हैं तो निकाल दीजिये ज़ब जन्म हमारे राम ने दिया है तो दो जून की रोटी की व्यवस्था भी वही करेंगे।
*जय शिक्षक*
*विजय शिक्षक..!!*
– `’राजा’ दिग्विजय सिंह`
*(गोण्डा)*
(प्रदेश के छः लाख शिक्षकों के मोबाइल पर यह संदेश भेजने का दायित्व आपका है,बताईये कि अब हम शिक्षक एक हैं।)
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