लखनऊ। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करके ही शैक्षणिक पलायन रोका जा सकता है। वह शुक्रवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित नैक की क्षेत्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्यअतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता में कमी से आज हमारे छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं। जबकि, पहले हर साल हजारों की संख्या में विदेशी छात्र यहां पढ़ने आते थे
उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने में मदद करेगी। नैक के डायरेक्टर प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने कहा कि एनईपी का नया प्रस्ताव विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के आधार ■ पर तैयार किया गया है। मूल्यांकन का नया ढांचा व्यवसाय करने में आसानी और सिस्टम में विश्वास का प्रतीक है। नैक सदस्य प्रो. शुचिता पांडेय ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में मूल्यांकन के लिए बदलाव की जरूरत है। अगले पांच वर्षों में देश के 90 फीसदी छोटे- बड़े शिक्षण संस्थानों को नैक मूल्यांकन प्रक्रिया
में शामिल करना ही इस नए फ्रेमवर्क का उद्देश्य है। नैक के डिप्टी एडवाइजर डॉ. प्रशांत पी. परहाद ने बताया कि नैक विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा विभागों और परिषदों के साथ मिलकर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है, ताकि कुलपति व प्रधानाचार्य नैक की आसान कार्यप्रणाली से जागरूक हो सकें। विवि के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने कहा कि देश के सामाजिक व आर्थिक विकास के ढांचे को मजबूत करने में उच्च शिक्षा का अहम योगदान है। कार्यशाला में चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, उत्तराखंड से कुलपति, आईक्यूएसी डायरेक्टर, प्रधानाचार्य एवं शिक्षा अधिकारी शामिल हुए।