बदायूं। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब किसी भी तरह का शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकेगा। यदि किसी भी स्कूल में बच्चों को शारीरिक दंड दिए जाने की शिकायत मिलती है तो जांच के बाद संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा महानिदेशक ने यह आदेश जारी किया है।
स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बाल शिक्षा अधिकार के तहत पीटने पर पूरी तरह प्रतिबंध है। इसके बाद भी कभी-कभार शिक्षकों द्वारा छात्रों की पिटाई की शिकायतें आ जाती हैं। वहीं शिक्षक बच्चों को पीटने की जगह उन्हें स्कूल का चक्कर लगाने व अन्य तरह से दंड दे दिया करते थे। लेकिन अब इसको भी बंद कर दिया गया है। शिक्षक किसी तरह का कोई भी शारीरिक दंड बच्चों को नहीं दे सकेंगे। यहां तक कि बेंच पर हाथ ऊपर करके खड़ा नहीं कर सकेंगे। महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शारीरिक दंड नहीं दिए जाने के निर्देश दे दिए हैं। महानिदेशक ने कहा है कि बच्चों को मारना पीटना, घुटनों के बाल दौड़ना या फिर अन्य तरह से दंड अब नहीं दिया जा सकेगा। अगर इसकी शिकायत मिली तो शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जिला स्तर पर बनेगा शिकायत प्रकोष्ठ
– बीएसए वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यदि कहीं पर कोई शिक्षक बच्चों को बेवजह डांटता है या मारता है, तो उस बच्चों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार होगा। इसके लिए शिकायत प्रकोष्ठ बनेगा, जिसमें बच्चा अपनी शिकायत को बिना किसी डर के बता सकेगा। इससे बच्चों में किसी तरह का डर नहीं रहेगा और वह मनोयोग से स्कूल में रहकर शिक्षा ग्रहण कर सकेगा।
निशुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को किसी भी प्रकार का दंड दिए जाने पर पहले से ही रोक है। वैसे भी बच्चों को शिक्षक किसी प्रकार का शारीरिक दंड नहीं देते है। अपवाद स्वरूप कहीं पर कोई घटना हो जाती है, तो उसकी वजह एक तरफा नहीं होती है। अभिभावकों को भी बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए
-सोमेश चंद्र, शिक्षक, संविलियन विद्यालय रमजानपुर
अब तो कोई भी शिक्षक बच्चों को नहीं मारता है। बच्चों को उनकी गलती पर ही फटकारा जाता है। अब महानिदेशक के आदेश का हर शिक्षक और भी ध्यान रखेगा, लेकिन यह भी जरूरी है कि अभिभावक बच्चों की गलती को खुद भी संज्ञान लें और नियमित बच्चों को स्कूल भेजें।
-जमीर अहमद, शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय अंतुईया