प्रयागराज ऐसे परिषदीय विद्यालय जहां बच्चों की संख्या 50 से कम है, उन्हें निकट के दूसरे विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के निर्देश पर कम संख्या वाले स्कूलों को चिह्नित करने का कार्य शुरू हो चुका है। चिह्नित विद्यालयों की सूची शासन को भेजी जाएगी। उसी के आधार पर स्कूलों का विलय होगा।
प्रयागराज में 2853 बेसिक स्कूल हैं। इसमें उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 394, कंपोजिट विद्यालयों की संख्या 606, प्राथमिक विद्यालय 1853 है। पीएमश्री विद्यालय 44, अभ्युदय विद्यालय 13, कस्तूरबा विद्यालय 20 हैं। करीब चार लाख छात्र छात्राओं का पंजीयन वर्तमान सत्र में है, बावजूद इसके कक्षा छह से आठ तक के 78 विद्यालय ऐसे चिह्नित हैं जहां छात्र छात्राओं की संख्या 50 से कम है। 226 ऐसे प्राथमिक विद्यालय चिह्नित हैं जहां
50 से कम विद्यार्थी हैं। सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से इस संबंध में सवाल जवाब हो रहा है। बीएसए प्रवीण तिवारी ने बताया कि स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से यह भी पूछता जा रहा है कि उनके विद्यालय में क्या क्या संसाधन हैं। कितने शिक्षक, शिक्षामित्र, ग्राम पंचायत की आबादी, मजरे की आबादी, हाउस होल्ड सर्वे में चिह्नित बच्चों की संख्या, पिछले तीन वर्ष के नामांकन, उनके निकट दूसरा कौन सा परिषदीय विद्यालय है, वहां के शिक्षकों, विद्यार्थियों व भवन आदि का भी विवरण मांगा गया है। यह भी पूछता गया है कि क्या
ग्राम पंचायत में बिना मान्यता के कोई विद्यालय संचालित हो रहा है। कायाकल्प के 22 मानकों में से स्कूल कितना संतृप्त है। पंजीयन बढ़ाने में किस तरह की समस्या आ रही है। मानक के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में 30 बच्चों पर एक शिक्षक, 45 बच्चों पर दो, 60 बच्चों पर तीन, 75 बच्चों पर चार और 90 बच्चों पर पांच शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। अभी इसी मानक पर शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद शासन स्तर से दिशानिर्देश मिलने पर स्कूलों के विलय की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। खास यह कि जरूरी नहीं कि कम संख्या वाले विद्यालय का ही विलय हो। यदि निकट के विद्यालय में छात्र संख्या अधिक हो लेकिन वहां संसाधन कम हों तो उसे पास के उस विद्यालय में समायोजित किया जा सकता है जहां संसाधन तो हैं पर पंजीयन बहुत कम है।