फर्रुखाबाद : माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुदानित विद्यालयों में नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायत पर शासन ने जांच के आदेश दिए थे। इसी क्रम में शिक्षकों व चतुर्थश्रेणी श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच विजिलेंस ने शुरू कर दी है। सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ ने जिला विद्यालय निरीक्षक से वर्ष 1981 से 2020 तक नियुक्त हुए शिक्षक व चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों संबंधी अभिलेख जिला विद्यालय निरीक्षक से मांगे हैं। डीआइओएस ने प्रबंधक व प्रधानाचार्य को अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
गड़बड़ी की शिकायत पर शासन ने दिए थे जांच के आदेश
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प्रधानाचार्य को अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया
विद्यालय निरीक्षक से 10 जुलाई 1981 से 2020 के मध्य शिक्षक व चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति कार्रवाई संबंधी अभिलेख मांगे हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक ने अनुदानित विद्यालयों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों को पत्र भेज कर 39 वर्ष में नियुक्त हुए शिक्षक व चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के नाम समेत पूरा विवरण, नियुक्ति से संबंधित मूल अभिलेख एक सप्ताह में कार्यालय में उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। इसके साथ प्रधानाचार्य व प्रबंधक को यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि जो सूची कार्यालय में भेजी है, उसमेंआह्वान अंकित शिक्षक व चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों के अलावा 10 जुलाई 1981 से 2020 के मध्य अन्य किसी नियुक्ति नहीं हुई है।
प्रदेश सरकार ने 1981 से 2020 तक हुई नियुक्तियों की नियुक्ति कार्रवाई की जांच कराने का निर्णय लेकर सतर्कता अधिष्ठान हो जांच करने का आदेश दिया था। इसकी जानकारी होने पर शिक्षक संगठनों ने विरोध करना शुरू किया, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ से जिला
के मध्य नियुक्त हुए शिक्षक व चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नाम समेत सूची के साथ व्यक्तिगत मूल अभिलेख प्रबंधक व प्रधानाचार्य से मांगे जाने का शिक्षक संगठन ने विरोध कर दिया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के मंडल अध्यक्ष महिपाल सिंह, जिलाध्यक्ष प्रवेश रत्न शाक्य, जिला मंत्री अर्जुन प्रताप सिंह समेत अन्य लोगों ने डीआइओएस नरेंद्र पाल सिंह को बुधवार को ज्ञापन दिया। 1981 से 2020 के मध्य हुई नियुक्तियों की जांच के लिए अभिलेख मांगे जाने के आदेश को निरस्त करने की मांग की। जिलाध्यक्ष ने प्रबंधक व प्रधानाचार्यों से अपील की है कि अभिलेख डीआइओएस कार्यालय में उपलब्ध न कराए। शासन अगर अपने आदेश को निरस्त नहीं करता है तो प्रांतीय पर आंदोलन किया जाएगा। आदेश के बाद से कई शिक्षक और कर्मचारी परेशान हैं। उनका कहना है कि इस तरह के आदेश से कई परिवारों के सामने सकंट खड़ा हो जाएगा। इससे यह आदेश वापस होना चाहिए।