मानक के खिलाफ 400 आशा का किया चयन, सीएम योगी तक पहुंचा मामला, डीएम के अनुमोदन के बिना ही कर दी गई भर्ती
प्रयागराज। जिले में आशा के रिक्त पदों पर हुए चयन में बड़ी – अनियमितता सामने आई है। वर्ष 2023 में 467 रिक्त पदों में से 400 पदों पर आशाओं की मनमाने ढंग से भर्ती कर दी गई।
जिलाधिकारी का अनुमोदन तक नहीं लिया गया। जबकि चयन प्रक्रिया के पहले जिला स्वास्थ्य – समिति की बैठक में डीएम का अनुमोदन लिया जाता है।
इस मामले में तत्कालीन एसीएमओ व डीसीपीएम का नाम सामने आ रहा है। मामला मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गया है। दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में पांच हजार की आबादी पर एक स्वास्थ्य उपकेंद्र होता है।
इसमें से एक हजार की आबादी पर एक आशा कार्यकर्ता का चयन किया जाता है। जिस गांव में चयन होना है, वहां खुली बैठक होती है।
बैठक में ग्राम प्रधान, एएनएम और सेक्रेटरी शामिल होते हैं। इसमें उसी गांव की अभ्यर्थी से आवेदन लिया जाता है। चयन कर आवेदन संबंधित सीएचसी के अधीक्षक व बीसीपीएम के पास भेजे जाते हैं।
इसके बाद वहां से जिला स्तर पर एसीएमओ-आरसीएच व डीसीपीएम के पास आता है और फिर चयन होता है। लेकिन यहां पर इसमें से कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। कीडगंज निवासी बलराम पांडेय ने मुख्यमंत्री से इस मामले की शिकायत भी की है। शिकायत पत्र में लिखा है कि तत्कालीन एसीएमओ व डीसीपीएम की ओर से मानकों का पालन किए बिना ही मनमाने तरीके से आशा कार्यकर्ताओं का चयन कर लिया गया है।
मामला मेरे संज्ञान में आया है। पहले सभी तथ्यों को परखा। जाएगा। जरूरत पड़ी तो इस मामले की जांच भी कराई जाएगी। डॉ. आशु पांडेय, सीएमओ
भगवतपुर विकासखंड में भी मनमानी
भगवतपुर विकासखंड में भी मनमाने तरीके से आशाओं का चयन किया गया। यहां 300-400 की आबादी पर ही आशा की नियुक्ति कर दी गई। जबकि नियम है कि एक हजार की आबादी पर एक आशा की नियुक्ति होती है। जनपद के 21 विकासखंडों के अलग-अलग गांवों में जिनका चयन किया गया है, वहां इसी तरह की मनमानी सामने आई है। आरोप है कि चयन करने के बाद बिना बजट मिले ही आनन-फानन में आशाओं की आठ दिवसीय ट्रेनिंग भी करा दी गई। जिससे बाद में इस पर कोई सवाल न उठे