सिद्धार्थनगर: बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी का सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में ईडब्ल्यूएस कोटे से सहायक प्रोफेसर के पद पर की गई नियुक्ति को लेकर शुरू हुए विवाद में यू-टर्न तब आया गया जब प्रशासन में ही ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की वैधता को 2020 में ही समाप्त बता दिया। ऐसे में मामले की पूरी जिम्मेदारी कुलपति पर आ गई है वहीं राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों से जवाब मांगा है।
मंत्री के भाई की नियुक्ति के मामले से जिस ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पर नियुक्ति की गई है। उस प्रमाण पत्र के बारे में उप जिलाधिकारी इटावा उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि डॉ अरुण त्रिवेदी को ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र नियमानुसार नवंबर 2019 में जारी किया गया था। ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की वैधता अवधि मात्र 1 साल की होती है ऐसे में नवंबर 2020 में उनकी प्रमाण पत्र की वैधता स्वता समाप्त हो गई अब यह सवाल उठता है कि आखिर विश्वविद्यालय प्रशासन में किस प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति कर दी। इस मामले जब सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नियुक्ति के उपरांत ही सभी प्रमाण पत्रों की जांच कराई जाती है। क्योंकि इस समय लाख डाउन चल रहा है इसलिए जांच में दिक्कत आ रही है। कुलपति से ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की वैधता के बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि आवेदन ऑनलाइन किया गया था इंटरव्यू 27 फरवरी 2021 को हुआ। जब मामला उठा है तो सभी प्रमाण पत्रों की जांच के उपरांत कोई गड़बड़ी मिली तो नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राजभवन से कोई आशा नहीं मांगी गई। अगर कोई जानकारी मांगी जाए तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा।