शामली। बेसिक स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने की कवायद परवान नहीं चढ़ पा रही है। हर साल स्कूल चलो अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च कर परिषदीय स्कूलों में बच्चों का पंजीकरण बढ़ाने का प्रयास तो किया जाता है, लेकिन छात्र संख्या नहीं बढ़ पा रही है।
जनपद में 139 परिषदीय स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्र संख्या 50 या उससे कम है। राज्य परियोजना निदेशक की ओर से मांगी गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। विभाग की माने तो 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद कर उनमें पढ़ने वाले छात्रों को पास के स्कूल में शामिल करने पर विचार चल रहा है। जनपद में इस समय 596 स्कूल संचालित हो रहे है। इन विद्यालयों में करीब 85 हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इनमें कई स्कूल ऐसे भी हैं, जहां छात्रों की संख्या बहुत ही कम है। स्कूलों में घट रही छात्र संख्या को गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा परिषद ने ऐसे स्कूलों की सूची तलब की हैं, जहां छात्र संख्या 50 या उससे कम है। इसके साथ ही उसके नजदीकी स्कूलों और उनकी दूरी की जानकारी भी मांगी गई है। 596 स्कूलों में से जनपद के पांचों ब्लॉकों में 139 परिषदीय स्कूल ऐसे हैं जिनमें 50 से कम छात्र संख्या है।
ऊन ब्लॉक में सबसे ज्यादा हैं कम छात्र संख्या वाले स्कूल
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयार की गई सूची के अनुसार जनपद के ऊन ब्लॉक में सबसे अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां छात्र संख्या 50 से कम हैं। वहीं कैराना ब्लॉक में ऐसे स्कूलों की संख्या सबसे कम है। जिसमें ऊन में 67 और कैराना में केवल 9 स्कूल मिले हैं।
किस ब्लॉक में कितने स्कूल
ब्लॉक स्कूलों की संख्या
शामली 15
ऊन 67
कांधला 19
कैराना 9
थानाभवन 29
-छात्र-शिक्षक के अनुपात का मानक भी नहीं है पूरा
- बच्चों की कम उपस्थिति पर बीईओ को प्रतिकूल प्रविष्टि
- परिषदीय स्कूलों में खर्च नहीं हो पा रही ग्रांट, महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने जताई नाराजगी
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- कार्यशाला में विद्यालय के भौतिक विकास पर चर्चा
- निपुण परीक्षा में 2372 केंद्र पर 2.10 लाख परीक्षार्थी देंगे परीक्षा
प्राइमरी स्कूलों में निर्धारित मानक के अनुसार 30 बच्चों पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। जनपद में बहुत कम स्कूल ऐसे हैं, जहां स्कूलों में छात्र-शिक्षक का अनुपात मानक के अनुसार है।
-ऐसा होने पर विद्यार्थियों को तय करनी पड़ेगी लंबी दूरी
कम संख्या वाले स्कूल बंद होते ही विद्यार्थियों को लंबी दूरी तय कर स्कूल पहुंचना होगा। उदाहरण के तौर पर थानाभवन ब्लॉक के गांव डेरा मानकपुर के प्राथमिक स्कूल में 41 बच्चों का पंजीकरण है। स्कूल समायोजित होने पर बच्चों को 3 किलोमीटर दूर जानीपुर के प्राथमिक स्कूल में जाना पड़ेगा। वहीं थानाभवन ब्लॉक के ही इस्माइलपुर के प्राथमिक स्कूल में 25 बच्चे पंजीकृत है। स्कूल समायोजन के बाद 2 किलोमीटर दूर नांगल गांव के जूनियर कंपोजिट स्कूल में जाना पड़ेगा।
समायोजन से पहले सरकार परिवहन की दे सुविधा : अभिभावक
शाहपुर गांव अभिभावक मोनू, तेजपाल, विकास, नीरपाल का कहना है कि अगर सरकार को यह कदम उठाना है तो पहले उनके बच्चों को दूसरे स्कूल भेजने के लिए परिवहन की सुविधा दे, तभी हम स्कूल समायोजित होने देंगे। हम मजदूर आदमी है हमारे पास इतना समय नहीं है कि वह दो किलोमीटर दूर बच्चों को छोड़ने जाए।
परियोजना निदेशालय ने लगभग एक माह पहले 50 से कम स्कूलों की संख्या का ब्योरा मांगा था, जो भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्कूल भवन, शिक्षकों की संख्या और दूरी के आधार पर स्कूलों के समायोजन की योजना है। इसे लेकर पहले भी लखनऊ में सभी बीएसए की बैठक ली गई थी। जल्द ही एक बैठक होने वाली है। -लता राठौर, बीएसए