मंत्रिपरिषद ने ‘द उत्तर प्रदेश रिटायमेण्ट बेनिफिट्स रूल्स, 1961’ के नियम-6 के उप नियम-10 में विद्यमान व्यवस्था के स्थान पर प्रस्तावित संशोधन को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव में संशोधन / परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता होने पर आवश्यक सुसंगत संशोधन / परिवर्तन हेतु वित्त मंत्री को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि अधिसूचना संख्या-सा-2-749/दस-917-961 दिनांक 29 मार्च, 1962 द्वारा प्रख्यापित ‘द उत्तर प्रदेश रिटायमेण्ट बेनिफिट्स रूल्स, 1961’ के नियम-6 के उप नियम-10 एवं शासनादेश दिनांक 28 जुलाई, 1989 में कार्मिकों के ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में प्रावधान है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिवृत्ति के उपरान्त ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नामांकन किया है, या उसके द्वारा किया गया नामांकन अस्तित्व में नहीं है, तो उसे देय मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की धनराशि सरकार को व्यपगत हो जाएगी।
केन्द्र सरकार के कार्यालय-ज्ञाप संख्या-28/91/2022-पी० एण्ड पी० डब्ल्यू० (बी)/8331 दिनांक 11 अक्टूबर, 2022, जो सेण्ट्रल सिविल सर्विसेज, पेंशन रूल्स, 2021 के अधीन ग्रेच्युटी भुगतान हेतु नामांकन के सम्बन्ध में है, के प्रस्तर-4 में ऐसे किसी व्यक्ति को जिसके पक्ष में ग्रेच्युटी हेतु उत्तराधिकार प्रमाण पत्र किसी सक्षम न्यायालय द्वारा निर्गत किया गया है, को ग्रेच्युटी का भुगतान अनुमन्य किया गया है।
यह निर्णय लिया गया है कि यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिवृत्ति के उपरान्त ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नामांकन किया है तो, सेवानिवृत्ति उपदान या मृत्यु उपदान की धनराशि का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकता है, जिसके पक्ष में किसी न्यायालय द्वारा प्रश्नगत उपदान के सम्बन्ध में, एक उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया हो।