लखनऊ। यूपी में अब सबसे ज्यादा शाखाएं ग्रामीण बैंक की होंगी। स्टेट बैंक से भी ज्यादा। यह नया बैंक प्रदेश की तीनों ग्रामीण बैंकों के मर्जर के बाद आकार लेगा। इसका नाम यूपी राज्य ग्रामीण बैंक होगा। इसकी कवायद केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। बड़ौदा यूपी बैंक, आयावर्त बैंक और प्रथमा यूपी बैंक सहित अन्य राज्यों में जहां एक से अधिक ग्रामीण बैंक कार्यरत हैं, के विलय की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के निदेशक सुशील कुमार सिंह ने राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक को पत्र भेजकर 20 नवंबर तक अपनी सहमति भेजने को कहा है।
एक देश-एक पहचान पत्र की तर्ज पर अब एक प्रदेश-एक आरआरबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) की पहल की गई है। इसके अमल में आते ही देश में ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी।
वहीं यूपी के तीनों ग्रामीण बैंकों के विलय से यूपी राज्य ग्रामीण बैंक आकार लेगा, जिसका प्रस्तावित मुख्यालय राजधानी लखनऊ में होगा।
ऑल इंडिया ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डीएन त्रिवेदी के अनुसार वित्त मंत्रालय ने आपसी विलय के लिए राज्य के अधिकतम व्यापार वाले ग्रामीण बैंक में दूसरे ग्रामीण बैंक के विलय और राज्य मुख्यालय में प्रधान कार्यालय स्थापित करने का निर्देश दिया है। इसके तहत बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा प्रायोजिक बड़ौदा यूपी बैंक के साथ बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित आर्यावर्त बैंक व पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रायोजित प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक का विलय होगा। इसका प्रधान कार्यालय लखनऊ में रहेगा।
ग्रामीण बैंक घटकर 28 रह जाएंगे
इससे एकीकृत यूपी राज्य ग्रामीण बैंक आकार लेगा, जो सूबे का सबसे बड़े नेटवर्क वाला बैंक हो जाएगा जो प्रदेश के 75 जिलों में अपनी 4317 शाखाओं के साथ कार्यरत होगा। बता दें कि अभी प्रदेश में भारतीय स्टेट बैंक की शाखाएं सर्वाधिक हैं, जिनकी संख्या 2780 है। भारत सरकार के निर्देशानुसार ग्रामीण बैंकों के विलय का यह चौथा चरण है।
नेटवर्क व व्यापार (मार्च 2024)
बड़ौदा यूपी आर्यावर्त प्रथमा
जिला 30 26 20
शाखा 1983 1367 967
स्टाफ 7278 7138 4087
जमाकरोड़ 63669 36653 28467
ऋणकरोड़ 23923 23464 20612
विलय से ये होंगे लाभ
● ग्रामीण बैंक के संसाधन बढ़ जाएंगे व ऋण देने की क्षमता भी बढ़ जाएगी जिससे राज्य, खासकर ग्रामीण अर्थ व्यवस्था मजबूत होगी।
● ग्रामीण बैंक बाजार से पूंजी एकत्र करने में सक्षम होंगे।
● ग्रामीण बैंक की पूंजी के लिए सरकार पर निर्भरता कम होगी और अपने स्थापना खर्च वहन करने में आत्मनिर्भर होंगे।