प्रयागराजः बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा तीन के विद्यालयों में पढ़ाए जाने विषयों की पुस्तकों का नाम नए सत्र से बदलने की तैयारी है। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। राज्य शिक्षा संस्थान ने हिंदी, गणित, पर्यावरण और उर्दू विषय की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पुस्तकों का प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में कस्टमाइजेशन किया है, जबकि अंग्रेजी विषय की पुस्तक का कस्टमाइजेशन आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान ने किया है। हिंदी की पुस्तक वीणा-1, गणित की गणित मेला, पर्यावरण की हमारा की सितार और अंग्रेजी विषय की पुस्तक संतूर नाम से जानी जाएगी।
- Primary ka master: शिक्षक से परेशान छात्रा ने फंदा लगाकर दी जान
- RO / ARO परीक्षा स्थगित कर दी गई है…. विज्ञप्ति हुई जारी
- PCS EXAM: पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा एक दिन में होगी आयोजित , विज्ञप्ति जारी
- प्राथमिक के हेड को जूनियर का सहायक बनाये जाने के मामले आज हुईं सुनवाई का सार✍️ हिमांशु
- प्रतिकार अवकाश के सम्बन्ध में चुनाव आयोग का – पत्र हुआ जारी , देखें
परिषद के विद्यालयों में
एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों का कक्षावार उपयोग धीरे-धीरे किया जा रहा है। कक्षा एक और दो में इन पुस्तकों का उपयोग शुरू हो गया है। अगले सत्र से कक्षा तीन की पुस्तकों में बदलाव किए जाने की दिशा में कार्य तेजी से चल रहा है। इस कड़ी में राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर के निर्देशन में कक्षा तीन की एनसीईआरटी की पुस्तकों का कस्टमाइजेशन कराकर
उपलब्ध हो सकें।
• नए सत्र के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों का किया गया कस्टमाइजेशन
हिंदी, गणित, पर्यावरण, उर्दूव अंग्रेजी विषय की पुस्तकों का बदलेगा नाम
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को भेज दिया गया है। इसमें विषयवार पुस्तकों का नाम एनसीईआरटी के पैटर्न पर रखा गया है। वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा तीन में हिंदी की पुस्तक पंखुड़ी नाम से चलती है। इसी तरह गणित की पुस्तक का नाम अंकों का जादू, मानवन्द्र नाम हमारा परिवेश, उर्दू की पुस्तक का नाम उर्दू जबां तथा अंग्रेजी की पुस्तक का नाम रेनबो है। इसके विपरीत संस्कृत विषय की पुस्तक पूर्व की तरह संस्कृत पीयूषम् के नाम से चलेगी। एनसीईआरटी द्वारा विकसित पाठ्यपुस्तकों में संस्कृत विषय का समावेश नहीं होने से इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। कस्टमाइज की गई पुस्तकों में संशोधन होने पर एससीईआरटी के निर्देशन में किया जाएगा। उसके बाद पुस्तक की प्रिंटिंग कराई जाएगी, ताकि नए सत्र में विद्यार्थियों को पुस्तकें समय से उपलब्ध हो सकें।