अनुसंधान
कई लोगों को देर रात तक कार्य करना पड़ता है। स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक शोध में सामने आया है कि लंबी अवधि तक देर रात तक कार्य करने वालों में लिवर द्वारा मस्तिष्क को भेजे जाने वाला सिग्नल बाधित होने लगते हैं। इसके कारण बायोलाजिकल क्लाक बिगड़ जाता है, जिसका परिणाम अधिक भोजन करना और मोटापा
जैसी समस्याएं होती हैं। अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि देर रात तक कार्य करने वालों में लिवर की आंतरिक घड़ी और उसके सिग्नल बाधित हो जाते हैं, जिससे

- बेसिक शिक्षा परिषद से सम्बन्धित ऑनलाइन पोर्टल पर संचालित मॉड्यूल के सम्बन्ध में समीक्षा एवं सुझाव के सम्बन्ध में।
- अंतर्जनपदीय सामान्य ट्रांसफर की आधिकारिक सूची अभी तक जारी नहीं हुई है। जो सूची वायरल हो रही है ,वह आधिकारिक नहीं है अभी , देखें यह सूची
- खण्ड शिक्षा अधिकारियों हेतु 03 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्बन्ध में।
- बेसिक शिक्षा परिषद् के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षिका के अन्तर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण के सम्बन्ध में जनपद बरेली में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति विषयक सूचना प्रेषण विषयक ।
- शैक्षिक सत्र 2025-26 में निःशुल्क यूनीफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता-मोजा तथा स्टेशनरी क्रय से सम्बन्धित धनराशि डी०बी०टी० के माध्यम से सीधे छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों के खाते में हस्तांतरित कराये जाने की अद्यावधिक प्रगति तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रकरणों के सम्बन्ध में वर्चुअल बैठक।
अनियमित समय पर ज्यादा खाने की प्रवृति बढ़ जाती है। यह शोध जर्नल साइंस में प्रकाशित किया गया है। इसमें पता चला है कि वेगस तंत्रिका के विशिष्ट हिस्सों को लक्षित करने से देर रात तक कार्य करने वालों में अधिक खाने की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इसी तंत्रिका के माध्यम से लिवर मस्तिष्क के साथ संचार करता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों में आरईवी-ईआरबी जीन शरीर की घड़ी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन जीनों को बंद करने के बाद चूहों के लिवर में एक दोषपूर्ण घड़ी विकसित हो गई, जिसके कारण खाने की आदतों में नाटकीय बदलाव आया। चूहों ने कम सक्रिय घंटों के दौरान अधिक भोजन किया